जितने काल में एक परमाणु आकाश के १ प्रदेश को लांघता है उतने काल को १ समय कहते हैं। ऐसे असंख्यात समयों की १ आवली होती है। अर्थात्—
असंख्यात समयों की १ आवली
संख्यात आवलियों का १ उच्छ्वास
७ उच्छ्वासों का १ स्तोक
७ स्तोकों का १ लव
३८ लवों की १ नाली१
२ घटिका का १ मुहूर्त होता है।
इसी प्रकार ३७७३ उच्छ्वासों का एक मुहूर्त होता है एवं ३० मुहूर्त२ का १ दिन-रात होता है अथवा २४ घण्टे का १ दिन-रात होता है।
१५ दिन का १ पक्ष २ पक्ष का १ मास
१. ्नााली अर्थात् घटिका। २४ मिनट की १ घड़ी होती है उसे ही नाली या घटिका कहते हैं।
२. ४८ मिनट का १ मुहूर्त होता है इसलिये ३० मुहूर्त के २४ घंटे होते हैं।
२ मास की १ ऋतु ३ ऋतुओं का १ अयन
२ अयन का १ वर्ष ५ वर्षों का १ युग होता है।
प्रति ५ वर्ष के पश्चात् सूर्य श्रावण कृष्णा १ को पहली गली में आता है।