नाम एवं पता | श्री 1008 दि. जैन अतिशय क्षेत्र, शान्तिनाथ, ग्राम बमोतर पो.- सिद्धपुर, तहसील एवं जिला- प्रतापगढ़ (राजस्थान) पिन – 312605 |
टेलीफोन | 01478-222444, 09414397144, 098289 43596 (2) |
क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ | आवास : वीआईपी कमरे (अटैच बाथरूम) – 9, साधारण कमरे 17 हाल 1+3 ( यात्री क्षमता – 300 ) यात्री ठहराने की कुल क्षमता – 1000. गेस्ट हाऊस – 1 2000 व्यक्तियों के लिए बर्तन तथा ठंडे पानी की मशीन, 50 बिस्तर गादियों की व्यवस्था
भोजनशाला : है, विद्यालय : प्रस्तावित , औषधालय : प्रस्तावित , पुस्तकालय : प्रस्तावित |
आवागमन के साधन | रेल्वे स्टेशन : मन्दसौर- 36 कि.मी.
बस स्टेण्ड पहुँचने का सरलतम मार्ग : प्रतापगढ़ 4.कि.मी. देवगढ़ – 14 कि.मी. प्रतापगढ़ चित्तौड़गढ़ मार्ग, सड़क मार्ग |
निकटतम प्रमुख नगर | प्रतापगढ़ 4 कि.मी. चित्तौड़गढ़ मार्ग पर |
प्रबन्ध व्यवस्था | संस्था : श्री पंचान बीसा नरसिंहपुरा समाज, प्रतापगढ़
अध्यक्ष : श्री पंचान बीसा नरसिंहपुरा समाज, प्रतापगढ़ मंत्री : श्री सूरजमल जैन, प्रतापगढ़ ( 01478220453) प्रबन्धक : श्री महावीर जैन, श्री कान्तिलाल जैन |
क्षेत्र का महत्व | क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 01
क्षेत्र पर पहाड़ : नहीं ऐतिहासिकता : यहाँ दिगम्बरों के 7 एवं श्वेताम्बरों के 9 भव्य व विशाल दर्शनीय मन्दिर है। मूल नायक भगवान अजितनाथ (संवत् 1712 में प्रतिष्ठित) के बायीं ओर भगवान चन्द्रप्रभु की संवत् 1826 की प्रतिमा है। भट्टारक हेमाचार्यजी द्वारा संवत् 1902 में 5 फुट की श्री शांतिनाथ भगवान की प्रतिमा विराजमान की गई है। छोटा द्वार होने से मन्दिर में प्रतिमा का प्रवेश करना कठिन था तब भट्टारकजी ने तीन दिन तक जल, आहार त्यागने के पश्चात् तीसरे दिन कहा कि प्रतिमा को उठाकर मंदिर में रखा जाय । प्रतिमा में हलकापन आने व छोटी होने पर प्रतिमा को उठाकर मंदिर में विराजित की गयी। सन् 1960 में मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ। वार्षिक मेले : ज्येष्ठ सुदी पूर्णिमा – प्रति वर्ष रथ यात्रा महोत्सव |
समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र | उदयपुर- 165 कि.मी., बांसवाड़ा – 90 कि.मी., नन्दनवन धरियावद के पास 40 कि.मी., चित्तौड़गढ़- 110.कि.मी., प्राचीन दर्शनीय मंदिर देवगढ़ – 14 कि.मी.. केसरियाजी वाया धरियावद, सलुम्बर 150 कि. मी. वही पार्श्वनाथ 45 कि.मी. |