नाम एवं पता | श्री दिगम्बर जैन जिन कांची मठ, मेलचित्तामूर, ता. टिडवनम, जिला – विलुपुरम, तमिलनाडु – 604206 |
टेलीफोन | 04145-235325, 09443153753, 09025514465, 09444294684 |
क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ | आवास : कमरे (अटैच बाथरूम ) – 6, कमरे (बिना बाथरूम) – 4 हाल- 3 (यात्री क्षमता 100 ) गेस्ट हाऊस – x यात्री ठहराने की कुल क्षमता 350, भोजनशाला है
मार्गदर्शन : यहाँ आवास व्यवस्था जैन मठ में है। मंदिर एवं भट्टारकजी का निवास पास में है। यह स्थान छोटा करवा है, किन्तु मंदिर का प्रवेश द्वार – ‘गोपुर दूर से दिखाई देता है। |
आवागमन के साधन | रेल्वे स्टेशन : टिंडीवनम
बस स्टेण्ड पहुँचने का सरलतम मार्ग : वल्लम, नाट्टर मगल (एन.एच.- 66 ) |
निकटतम प्रमुख नगर | पौन्नूर – 50 कि.मी., जिंजी – 10 कि.मी. तथा टिंडीवनम- 20 कि.मी., चैन्नई – 150 कि.मी. । |
प्रबन्ध व्यवस्था | संस्था : श्री दिगम्बर जैन जिन कांची मठ, मेलचित्तामूर
अध्यक्ष : स्वस्ति श्री लक्ष्मी सेन भट्टारक स्वामीजी मंत्री : श्री सी. समुत्र विजयन (09025514465) प्रबन्धक : श्री जे. जयपाल जैन (0944294684) |
क्षेत्र का महत्व | क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 11
क्षेत्र पर पहाड़ : नहीं ऐतिहासिकता : यह क्षेत्र तमिलनाडु में सर्वाधिक समृद्ध, विशाल एवं कलात्मक क्षेत्र है, जहाँ धातुओं की विशाल आकर्षक प्रतिमाएँ है। प्राचीन भव्य सात मंजिला प्रवेश द्वारा ‘गोपुर’ में प्रवेश करने पर लम्बे-चौड़े अहाते में 5 मंदिर है- पार्श्वनाथ, नेमिनाथ एवं महावीर स्वामी मंदिर | सोलह पाषाण स्तंभों पर खड़ा ‘अलंकार मंडप’, धातु का ध्वज दंड, आकर्षक सहस्त्र दीपस्तंभ, विशाल हाथी द्वार आदि सभी दर्शनीय है। कलात्मक ‘गोपुर अन्यत्र किसी जैन मंदिर में नहीं है। मुख्य मंदिर के मूलनायक भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा अलौकिक एवं अद्वितीय है। काले पाषाण से निर्मित इस प्रतिमा के साथ चौबीसी भी है। साथ ही साथ पाषाण पर ही उत्कीर्ण अष्ट प्रातिहार्य आकर्षक है। पाषाण पर ही सिंहमुखी आसन पर श्रीजी विराजमान है। प्रतिमा के पिछले भाग पर श्रुत-स्कन्ध यंत्र अंकित है। मलईनाथ मंदिर, चट्टान पर बाहुबली, पार्श्वनाथ और नेमिनाथ तथा धर्मदेवी की प्रतिमाएं उकेरी गई है। पांचवी सदी की रचना है, अब इसे मंदिर का रूप दे दिया गया है। जैन मठ में रत्नों की प्रतिमायें है तथा ताड़ पत्रों पर ग्रंथों का शास्त्र भंडार है। पार्श्व प्रभु पीठ सहित, रजत के हैं, ऐसी मूर्ति अन्यत्र नहीं है। विशेष- यहाँ जैन धर्म एवं संस्कृति को पाषाण पर विशाल स्तर पर दर्शाया गया है, जो अन्यत्र नहीं है। शिल्पकला इतनी आकर्षक है कि इस पर शोध किया जा सकता है। |
समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र | अगर 90, कांचीपुरम-80 कि.मी., पौन्नुरमले 55 कि.मी., पांडिचेरी – 60कि.मी. वंदवासी, टिंडीव नम से बस का साधन है। |