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20. मंडप प्रतिष्ठा विधान

November 8, 2014Booksjambudweep

मंडप प्रतिष्ठा विधान


चाल—शेर—

ॐ मणिमयी स्तंभ से उँचा महामंडप।

दसविध ध्वजाओं से महारमणीय है मंडप।।

तोरण चंदोवा चंवर छत्र पुष्पहार से।

अतिशोभता मंगल कलश व धूप घटों से।।१।।

मंडपांत: पुष्पांजलिं क्षिपेत्।

(मंडप के अन्दर सब तरफ और भूषण आदि वस्तुओं पर पृथक्-पृथक् चंदन से सहित पुष्पांजलि क्षेपण करें। पुन: मंडप पर पाँच मंगल कलश स्थापित करें।)

ये पंचरंग सूत्र सुपवित्र सूत्र है।

सूत्रोक्त तप्व के समान श्रेष्ठ सूत्र है।।

पूजन विधान मंडप को चार ओर से।

मैं तीन बार वेष्टित करता हूँ सूत्र से।।२।।

(इस मंडप को बाहर से पंचरंगी कलावा से तीन बार वेष्टित करें। इसे वेष्टित करते समय शांतिजिनं शशि—आदि शांति पाठ बोलने की परम्परा भी देखी जाती है।)

जिनवर समवसरण में शोभे श्रीमंडप।

उसके समान तीन लोक लक्ष्मी का मंडप।।

सब पापताप खंडे ऐसा है ये मंडप।

मैं अर्घ देय पूजूँ ये सौख्य का मंडप।।३।।

ॐ ह्रीं श्रीमंडपाय अर्घं समर्पयामि स्वाहा। (मंडप के लिए अर्घ चढ़ायें)

Tags: Mandal Vidhan Vidhi 1
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