नाम एवं पता | श्री चन्द्रप्रभु दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र मंदिर, ग्राम-बरनावा, तह.- बड़ौत, जिला बागपत, (उ.प्र.) पिन – 250345 |
टेलीफोन | 01234-240071, 096349 00959, 089231 94918 (4) email : jmbarnawa@gmail.com, barnawajainmandir@gmail.com |
क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ | आवास : कमरे (अटैच बाथरूम ) – 9, हॉल – 01 बड़ा एवं 1 छोटा कमरे (बिना बाथरूम) – 20 यात्री ठहराने की कुल क्षमता 500 गेस्ट हाऊस – है
भोजनशाला : निःशुल्क, विद्यालय : नहीं, औषधालय : है, पुस्तकालय : नहीं |
आवागमन के साधन | रेल्वे स्टेशन : बड़ौत 17 कि.मी., मेरठ- 33 कि.मी.
बस स्टेण्ड पहुँचने का सरलतम मार्ग : बरनावा 200 मीटर, बड़ौत 17 कि.मी. दिल्ली से बड़ौत (दिल्ली-सहारनपुर हाईवे) सरलतम मार्ग बड़ौत से बरनावा (बड़ौत मेरठ मार्ग) दिल्ली से मेरठ, मेरठ |
निकटतम प्रमुख नगर | मेरठ 33 कि.मी., बड़ौत 17 कि.मी., सरधना – 18 कि.मी., बुढ़ाना -2 कि.मी. मुजफ्फरनगर 50 कि.मी., दिल्ली- 70 कि.मी. |
प्रबन्ध व्यवस्था | संस्था : श्री चन्द्रप्रभः दि. जैन अतिशय क्षेत्र मंदिर समिति (रजि.)
अध्यक्ष : प. धनराज जैन, अमीनगर सराय ( 09319551165) मंत्री : श्री पंकज जैन (यू.जी.एस.), मेरठ (09412705104) |
क्षेत्र का महत्व |
क्षेत्र पर पहाड़ :नहीं ऐतिहासिकता : बरनावा उत्तरप्रदेश के मेरठ जनपद की तहसील सरधना का एक ऐतिहासिक स्थल है। यहाँ श्री 1008 चन्द्रप्रभु भगवान की 2700 वर्ष प्राचीन चतुर्थकालीन प्रतिमा विराजमान है। 1300 वर्ष प्राचीन मल्लिनाथ भगवान की प्रतिमा 100 वर्ष प्राचीन मंदिर की मूलनायक प्रतिमा है। प्राचीन नाम वरणावतपुरी था। बाद में बिगड़कर बरनावा नाम बन गया। दो घाटियों के संगम पर बसा वारणावत, आज बरनावा के नाम से जाना जाता है। राज्य परिवर्तन में मुगल शासक भी चन्द्रप्रभु के मंदिर को तोड़ने लगे तो क्षेत्रपाल ने दुष्टों को निर्बल बना दिया था तभी से अतिशय क्षेत्र के नाम से जानने लगे। आचार्य श्री विमल सागरजी एवं श्री भरत सागरजी को क्षेत्र पर ध्यान योग लगा। संवत् 1917 में मेरठ शहर में जन्में श्री लालमन दास ने जैन धर्म का प्रचार-प्रसार कर बहुत से अनूठे कार्य किये। सन् 1908 में बरनावा का मंदिर छोटा एवं अधूरा होने पर भगवान चन्द्रप्रभः मंदिर का विकास किया। यहां की खोदी हुई मिट्टी को मस्तक पर लगाने से पीड़ा दूर हो जाती है। खुदाई करते समय सफेद रंग का सर्प आया फिर लुप्त हो गया। श्री नमिसागरजी महाराज को रात्रि समय मंदिर में इन्द्र देव जिनेन्द्र देव की पूजा आरती करते दिखाई भी दिये। आचार्य विमलसागरजी महाराज ने ध्यान लगाकर जानकारी दी, कि तहखाने में अटूट धन सम्पत्ति है। वार्षिक मेला : अनन्त चतुर्दशी से द्वितीय रविवार को ( फाल्गुन शुक्ल सप्तमी) चन्द्रप्रभु भगवान का मोक्ष कल्याणक । |
समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र | वहलना अतिशय क्षेत्र व्हाया सरघना दौराला खतौली – 65 कि.मी., हस्तिनापुर – 70 कि.मी., (व्हाया-सरघना, दौराला, मवाना), महलका- 42.कि.मी., (व्हाया-सरघना, दौराला), बड़ागांव अतिशय क्षेत्र – 36 कि.मी., वाया-बिनौली |