21. सुप्रभाताष्टक स्तोत्र
प्रश्न ४५८—जिनेन्द्र भगवान का सुप्रभात क्या प्रदान करता है ?
उत्तर—जिनेन्द्र भगवान का सुप्रभात समस्त जीवों को सुख का देने वाला है, उत्कृष्ट है, उपमा रहित है तथा समस्त संसार के संताप को दूर करने वाला है।
उत्तर—जिनेन्द्र भगवान का सुप्रभात समस्त जीवों को सुख का देने वाला है, उत्कृष्ट है, उपमा रहित है तथा समस्त संसार के संताप को दूर करने वाला है।
प्रश्न ४५९—इस सुप्रभात स्तोत्र का गान कौन—कौन करता है ?
उत्तर—जिनेन्द्र भगवान के सुप्रभात स्तोत्र को आनन्दयुक्त हो देवांगना तथा इन्द्र गान करते हैं, वन्दीजन राजाओं के सामने सुबह के समय पढ़ते हैं तथा गान करती हुई नागकन्याओं से गाए हुए स्तोत्र को विद्याधर तथा नागेन्द्र भी सुनते हैं।
उत्तर—जिनेन्द्र भगवान के सुप्रभात स्तोत्र को आनन्दयुक्त हो देवांगना तथा इन्द्र गान करते हैं, वन्दीजन राजाओं के सामने सुबह के समय पढ़ते हैं तथा गान करती हुई नागकन्याओं से गाए हुए स्तोत्र को विद्याधर तथा नागेन्द्र भी सुनते हैं।
प्रश्न ४६०—प्रात:काल और जिनेन्द्र के सुप्रभात में क्या अन्तर है ?
उत्तर—प्रात:काल की अपेक्षा अर्हंत भगवान के सुप्रभात की महिमा अपूर्व ही है। प्रात:काल तो मनुष्य के चलने के लिए सड़क आदि मार्ग को प्रगट करता रात्रि की स्थिति का नाश करता है, घट—पदादि थोड़े पदार्थों के देखने में ही मनुष्यों की दृष्टि को समर्थ करता है और कामी पुरुषों की स्त्रीविषयक प्रीति को ही नष्ट करता है जबकि भगवान का सुप्रभात सम्यग्दर्शनादि स्वरूप मोक्ष के मार्ग को प्रकट करता है, राग—द्वेष रूपी दोषों की स्थिति को दूर करता है, मनुष्यों की दृष्टि को र्मूितक तथा अर्मूितक समस्त पदार्थों के देखने में समर्थ बनाता है और समस्त प्रकार के मोह का नाश करने वाला है।
उत्तर—प्रात:काल की अपेक्षा अर्हंत भगवान के सुप्रभात की महिमा अपूर्व ही है। प्रात:काल तो मनुष्य के चलने के लिए सड़क आदि मार्ग को प्रगट करता रात्रि की स्थिति का नाश करता है, घट—पदादि थोड़े पदार्थों के देखने में ही मनुष्यों की दृष्टि को समर्थ करता है और कामी पुरुषों की स्त्रीविषयक प्रीति को ही नष्ट करता है जबकि भगवान का सुप्रभात सम्यग्दर्शनादि स्वरूप मोक्ष के मार्ग को प्रकट करता है, राग—द्वेष रूपी दोषों की स्थिति को दूर करता है, मनुष्यों की दृष्टि को र्मूितक तथा अर्मूितक समस्त पदार्थों के देखने में समर्थ बनाता है और समस्त प्रकार के मोह का नाश करने वाला है।
प्रश्न ४६१—जिनेन्द्र भगवान के सुप्रभात स्तोत्र को पढ़ने वाले को क्या फल मिलता है ?
उत्तर—जिनेन्द्र भगवान के सुप्रभात स्तोत्र को नित्य पढ़ने वालों के समस्त पापों का नाश हो जाता है, धर्म और सुख की वृद्धि होती है।
उत्तर—तीन छत्र।
उत्तर—जिनेन्द्र भगवान के सुप्रभात स्तोत्र को नित्य पढ़ने वालों के समस्त पापों का नाश हो जाता है, धर्म और सुख की वृद्धि होती है।
श्री शांतिनाथ स्तोत्र
प्रश्न ४६२—भगवान शांतिनाथ के ऊपर कितने छत्र शोभित होते हैं ?उत्तर—तीन छत्र।