नाम एवं पता | श्री दिगम्बर जैन मंदिर अतिशय क्षेत्र, चंद्राचल, महलका (मेरठ) ग्राम-महलका, तह. सरघना, जिला-मेरठ (उ.प्र.) पिन-250222 |
टेलीफोन | 01237-285550, 099276 78904 |
क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ | आवास : कमरे (अटैच बाथरूम ) – 2, कमरे (बिना बाथरूम) – 7 हाल- 01 ( यात्री क्षमता – 50 ), यात्री ठहराने की कुल क्षमता 200 गेस्ट हाऊस – x
भोजनशाला : नियमित, निःशुल्क, विद्यालय : है, औषधालय : है, पुस्तकालय : है |
आवागमन के साधन | रेल्वे स्टेशन : सकोती टांडा – 9 कि.मी.
बस स्टेण्ड पहुँचने का सरलतम मार्ग : मेरठ के मवाना बस स्टेण्ड से महलका के लिए प्रातः 10 बजे से सायं 5 बजे तक बस उपलब्ध है। मेरठ-दौराला महलका-25कि.मी. |
निकटतम प्रमुख नगर | मेरठ – 25 कि.मी. |
प्रबन्ध व्यवस्था | संस्था : श्री दिगम्बर जैन मंदिर प्रबंध समिति, महलका-मेरठ
अध्यक्ष : श्री सुखदीश प्रसाद जैन मंत्री : श्री अशोक कुमार जैन (09927603975) |
क्षेत्र का महत्व | क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 2 मंदिर एवं मानस्तंभ
क्षेत्र पर पहाड़ : नहीं ऐतिहासिकता : उत्तरप्रदेश के जिला मेरठ की तहसील सरधना में नहीं महलका अतिशय क्षेत्र है। 95 फुट की उंचाई पर श्री 1008 चन्द्रप्रभु भगवान का एक भव्य शिखरवाला अलौकिक मंदिर है। ब्रिटिश शासन में 180 वर्ष पूर्व सरघना में बेगम सुम का राज्य था। गंगा नहर की खुदाई में चतुर्थ कालीन पद्मासन चन्द्रप्रभु भगवान की श्वेतवर्ण प्रतिमा प्राप्त हुई। एक ज्ञानी ने कहा था की जहां यह प्रतिमा रहेगी वहाँ पर जैन धर्म का राज्य होगा। बेगम ने जैनियों को बुलाकर राज्य के बाहर प्रतिमा ले जाने को कहा। बैलगाड़ी द्वारा प्रतिमा ले जाने पर, रास्ते में महलका पड़ने पर, बैलगाड़ी टस से मस नहीं हो पायी। वहीं पर चैत्यालय भगवान पार्श्वनाथ का होने से भगवान चन्द्रप्रभु की प्रतिमा को उसी चैत्यालय में विराजमान करने को उठाया, प्रतिमा का भार कम होकर फूल की तरह हो गया। तत्पश्चात् अगले दिन प्रतिमा को चैत्यालय में विराजमान किया। यहां पर जैनियों की वंशबेल गोद लिए बच्चों से चलती थी। यह स्थिति मूर्ति के आने के बाद बदल गई। महलका सीमा में यदि सर्प दंश हो जाता है, तो वह व्यक्ति मरता नहीं है। वार्षिक मेला : अप्रैल माह में वार्षिक रथयात्रा महोत्सव |
समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र | हस्तिनापुर 32 कि.मी., वहलना – 40 कि.मी., बरनावा – 30 कि.मी., बड़ागांव 42 कि.मी |