रथविहार के समय भगवान की आरती करके सरसों और अक्षत, पुष्प लेकर निम्न मंत्र पढ़कर सरसों मंत्रित कर रथ के आगे क्षेपण करें। पुन: रथ चलाने का श्लोक पढ़कर रथ को चलावें। परविद्याछेदन मंत्र- ॐ श्रीं ह्रीं ह्र्रं कलिकुंडदंडस्वामिन् अतुलबलवीर्यपराक्रम स्फ्रां स्फ्रीं स्फ्रूं स्फ्रें स्फ्रौं स्फ्रः आत्मविद्यां रक्ष रक्ष परविद्यां छिंद छिंद ह्रूं फट् स्व:।
यथा कोटिशिला पूर्वं, चालिता सर्वविष्णुभि:।
चालयामि तथोत्तिष्ठ, शीघ्रं चल महारथ।।
रथशीघ्रोच्चालनमंत्र:। नोट—रथयात्रा के बाद १००८ कलशों से या १०८ कलशों से महाभिषेक करना चाहिए।