Jambudweep - 7599289809
encyclopediaofjainism@gmail.com
About Us
Facebook
YouTube
Encyclopedia of Jainism
  • विशेष आलेख
  • पूजायें
  • जैन तीर्थ
  • अयोध्या

महात्मा गाँधी पर जैनधर्म का प्रभाव!

March 19, 2017जैनधर्म की गौरव गाथाjambudweep

महात्मा गाँधी पर जैनधर्म का प्रभाव


भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम की लड़ाई में जिन्होंने सत्य और अहिंसा के बल पर भारत को सैकड़ों वर्षों की अंग्रेजों की गुलामी से स्वतंत्र कराया, ऐसे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का जीवन जैन संस्कारों से प्रभावित था। जब मोहनदास करमचन्द गाँधी ने अपनी माता पुतलीबाई से विदेश जाने की अनुमति माँगी, तब उनकी माँ ने अनुमति प्रदान नहीं की, क्योंकि माँ को शंका थी कि यह विदेश जाकर माँस आदि का भक्षण करने न लग जाये। उस समय एक जैन मुनि बेचरजी स्वामी के समक्ष गाँधीजी के द्वारा तीन प्रतिज्ञा (माँस, मदिरा व परस्त्रीसेवन का त्याग) लेने पर माँ ने विदेश जाने की अनुमति दी। इस तथ्य को गाँधीजी ने अपनी आत्मकथा सत्य के प्रयोग, पृ. ३२ पर लिखा है। गाँधी जी के जीवन में प्रसिद्ध आध्यात्मिक जैन संत राजचन्द्र का गहरा प्रभाव था। गाँधीजी द्वारा प्रस्तुत ३३ धार्मिक शंकाओं का समाधान राजचन्द्र जी द्वारा प्राप्त होने पर सत्य, अहिंसा में दृढ़ आस्था स्थिर हुई। स्वयं गाँधी जी ने लिखा है—मेरे जीवन पर गहरा प्रभाव डालने वाले राजचन्द्र भाई का सम्पर्व, टालस्टाय की कृति’ बैकुण्ठ तेरे हृदय में’ तथा रस्किन की कृति ‘अन्टू दि लास्ट’ सर्वोदय ने मुझे चकित कर दिया। महात्मा गाँधी जी ने इंग्लैंड के प्रधानमंत्री चर्चिल को लिखा था—‘‘मैं दिगम्बर साधु बनना चाहता हूँ किन्तु मैं अब एक ऐसा नहीं हो पाया हूँ।’’

(L. Fischer, The Life of M. Gandhi, P. 473)

Previous post जैन जीवन शैली (देवदर्शन)! Next post आदर्श मुख्यमंत्री श्री मिश्रीलाल गंगवाल!
Privacy Policy