श्री दिगम्बर जैन चैतन्य वन संस्थान एक वनौषधि प्रकल्प है, जिसे एक आध्यात्मिक अनुष्ठान भी प्राप्त है, चैतन्य वन में भगवान् आदिनाथ मंदिर, भगवान् बाहुबली, मानस्तंभ एवं दिगम्बर जैन आम्नायानुसार चैत्य निर्मित है। प्रकृति की गोद में बसा यह एक अनोखा क्षेत्र है। धूलिया जिले के सोनगिर ग्राम में स्थित है, श्री चेतन कुमार जैन एवं डॉ. उर्जिता जैन संस्थापक एवं संरक्षक हैं। परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के विहार के उपलक्ष्य में मुख्य प्रवेश द्वार का नामकरण विद्यासागर प्रवेश द्वार किया गया है। क्षेत्र पर धार्मिकता से जुड़ी अनेक आकर्षक योजनाएँ मूर्त रूप में प्रदर्शित हैं—
१.मानस सरोवर स्थित जल मंदिर, कैलाश गिरि प्रतीक पर्वत, रत्नत्रय उद्यान, आचार्य कुंदकुंद वन, वनौषधि ग्रन्थालय एवं धार्मिक ग्रंथालय ।
२.चौबीस तीर्थंकर केवलज्ञान वृक्ष स्थली—जिस वृक्ष के नीचे ध्यान करते हुए तीर्थंकरों को केवलज्ञान प्राप्त हुआ था, ऐसे वृक्ष यहाँ पर लगे हुए हैं, वृक्ष के नीचे तीर्थंकरों के चरण चिह्न भी स्थापित हैं ।
३.नक्षत्र वन—प्राचीन कल्पनानुसार यहाँ पर २७ नक्षत्रों के आराध्य वृक्ष के रूप में २७ वृक्ष लगे हुए हैं, उनके नीचे बैठने के लिए स्थान बना है। ऐसा माना जाता है कि जिस नक्षत्र में व्यक्ति का जन्म हुआ हो उसके आराध्य वृक्ष के नीचे बैठने से उसका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है ।
४.ध्यान केन्द्र—यहाँ तीन पिरामिड की रचना की गई है, ध्यान केन्द्र का वातावरण शान्तमय एवं आह्लादकारक महसूस होता है ।
हर्बल (वनौषधि) के बारे में वैज्ञानिक एवं तकनीकी ज्ञान देने के उद्देश्य से यहाँ चैतन्य वन कॉलेज ऑफ हर्बल साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी स्थापित है, जिसमें भारत की नैसर्गिक वनौषधियाँ एवं उससे निर्मित औषध एवं प्रसाधन सामग्री का ज्ञान कराया जायेगा। यह कॉलेज भारत वर्ष में पहला एकमेव महाविद्यालय होगा, जहाँ से हर्बल साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी विषय में पदवी प्राप्त होगी ।