धर्मस्थल सभी धर्मों का पवित्र तीर्थस्थान है। जिसके संचालक श्री वीरेन्द्र हेगड़े हैं।श्री हेगड़े 24अक्टूबर 1968 को 20 वर्ष की उम्र में वंशानुगत धर्मस्थली के 21वें धर्माधिकारी बने। धर्माधिकारी बनकर पहला महान् कार्य धर्मस्थल में भगवान् बाहुबली की 39 फीट 170 टन स्थापना कराके अपने पिताजी के सपने को पूरा किया।
1982में आपने ग्राम कल्याण की भावना से ग्रामीण वृद्धि योजना का शुभारम्भ किया जिसके तहत गरीब किसानों को फण्ड युवाओं को तकनीकी शिक्षण प्रशिक्षण तथा ग्रामीण महिलाओं को आत्मसंयम और वित्त व्यवस्था की शिक्षादी।
आपके निर्देशन से श्री धर्मस्थल मंजूनाथेश्वर SDM ग्रुप के द्वारा लगभग 30 से ज्यादा शिक्षण संस्थानों का संचालन किया जा रहा है।
सन् 1993में पट्टाभिषेक के रजत वर्ष पर भारत के राष्ट्रपति श्री शंकरदयाल शर्मा द्वारा आपको राजॠषि कहकर सम्बोधित किया।
सन् 2000 में भारत सरकार के द्वारा आपको शिक्षा धर्म और जनकल्याण के क्षेत्र में आपके अनूठे कार्य के लिये ‘पद्मभूषण’ की उपाधि से सम्मानित किया।
आपको मेंगलोर विश्वविद्यालय, गुलबर्गा विश्वविद्यालय गुलबर्गा विश्वविद्यालय एवं कर्नाटक विश्वविद्यालय द्वारा आपके समाज कल्याण के कार्य के लिए ‘सम्माननीय डॉक्टर’ की उपाधि से अलंकृत किया। वीरेन्द्र हेगड़े ने जैन परिवार में जन्म लिया मगर उनके हृदय में धर्म जाति से बढ़कर मानवता व समाज सेवा का भाव का भाव अग्रणीय है।
आपके द्वारा संचालित अन्नपूर्णा में प्रतिदिन 20,000 लोगों को निःशुल्क भोजन की व्यवस्था की जाती है। धर्मस्थल में जैनदर्शन में उल्लिखित चारों दानों को आपके द्वारा किया जाता है।