महाराष्ट्र प्रान्त के नासिक जिला, सटाणा तहसील में स्थित यह पावन सिध्दक्षेत्र है, जहां से पुरुषोत्तम श्री राम, विद्याधर श्री हनुमान, श्री सुग्रीव,सुडील,गांव,गवाक्ष,नील,महानील इत्यादि 99करोडमहामुनीश्वर मोक्ष पधारे। शास्त्रों में इसका नाम तुंगीगिरि आता है। यहां पहाड़ एक है उसकी चोटियां दो हैं।मांगी और तुंगी इन दो शब्दों के नाम से इसका नाम मांगीतुंगी पड़ा।
यह पहाड़ी क्षेत्र गालना हिल के नाम से प्रसिद्ध है। समुद्र सतह से मांगीगिरि की ऊंचाई 4343 फीट एवं तुंगीगिरि की ऊंचाई 4366 फीट है। मांगीगिरि पर 7 गुफाएँ एवं तुंगीगिरी पर 3 गुफाएं है। यहाँ पर श्री कृष्ण जी का अंतिम संस्कार हुआ था।
पहाड़ की ओर मुख कर दुनिया की तरफ पीठ फेरकर बैठे बलभद्र जी की अतिप्राचीन एक मात्र प्रतिमा इसी क्षेत्र पर विराजित है, जिसके पीठ के ही दर्शन होते हैं।
सती सीता की तपो भूमि यहीं है। यहीं से आर्यिका सीता जी ने स्त्रीलिंग छेदकर सोलहवें स्वर्ग का प्रतीन्द्र पद प्राप्त किया था।
पहाड़ की तलहटी में श्रीराम (पद्य), श्री हनुमान की मूर्ति के साथ साथ 1121 मूर्तियाँ पाँच मंदिरों में विराजमान हैं।
प्रतिवर्ष दीपावली के बाद की पूर्णिमा के दिन गाँव का कोई एक व्यक्ति दैवीय शक्ति से प्रेरित होकर मात्र एक धागे के सहारे से मांगी पर्वत की चोटी पर चढ़कर ध्वज स्थापित करता है।