अशुल कहते हैं कि पूरी मानवता और प्राणीमात्र के कल्याण के लिए मैं जैनेटिक के क्षेत्र में आया। जिस परीक्षा को देकर में 100 प्रतिशत अंक प्राप्त कर सफल हुआ हूँ। उसके लिए प्रवेश की पात्रता उन्हीं को है, जो शाकाहारी है, आलू, प्याज, लहसुन अथवा तामसिक आहार नहीं करते अन्यथा उसको छोड़ना पड़ता है। इसका कारण है कि इनसे क्रोध और तामसिक प्रवृत्ति पैदा होती है और इस क्षेत्र में धैर्य और शांत चित्त की आवश्यकता है। में जैन हूँ इसलिए मुझे प्रवेश में सरलता से पात्रता मिली, इसका मुझे गर्व है।