जम्बूद्वीप दर्शन
कमल मंदिर
कमल मंदिर में विराजमान कल्पवृक्ष भगवान महावीर की अतिशयकारी, मनोहारी एवं अवगाहना प्रमाण सवा दस फुट ऊँची खड्गासन प्रतिमा
सर्वप्रथम फरवरी सन् 1975 में इस प्रतिमा की प्रतिष्ठा होने के बाद ही क्षेत्र का विकास प्रगति को प्राप्त हुआ और आज भी जम्प ही नहीं अपितु पूरे हस्तिनापुर में तीर्थ विकास के प्रशंसनीय कार्य तीव्रगति के साथ सम्पन्न हो रहे हैं। यहाँ भक्तगण छत्र चढ़ाकर अथवा दीपक जलाकर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
जम्बूद्वीप रचना
जम्बूद्वीप निर्माण से चमक उठा हस्तिनापुर
जम्बूद्वीप रचना
सुमेरु पर्वत की 136 सीढियों का सुन्दर दृश्य
जम्बूद्वीप रचना के मध्य 101 फुट ऊँचा सुमेरु पर्वत
जम्बूद्वीप निर्माण का प्रथम चरण
जैन एवं वैदिक ग्रंथों के अनुसार यह सुमेरुपर्वत तीनों लोकों एवं तीनों कालों में सबसे पवित्र तथा ऊँचा पर्वत माना जाता है, इसी पर्वत पर समस्त जैन तीर्थकरों के जन्माभिषेक का वर्णन जैन शास्त्रों में मिलता है। 1 लाख 40 योजन अर्थात् 40 करोड़ मील (60 करोड़ किमी.) की ऊँचाई वाले उस अकृत्रिम सुमेरुपर्वत को विश्व में प्रथम बार हस्तिनापुर में 101 फुट ऊँची प्रतिकृति के रूप में निर्मित किया गया है।
जम्बूद्वीप बनने पर तो मानो सचमुच ही स्वर्ग धरती पर उतर आया था!
जम्बूद्वीप परिसर का आध्यात्मिक सौन्दर्य
जम्बूद्वीप क्या है?
जम्बू वृक्ष
तीन मूर्ति मंदिर
तीन मूर्ति मंदिर में विराजमान भगवान आदिनाथ,भरत एवं बाहुबली की प्रतिमाएँ