बीसवें तीर्थकर भगवान मुनिसुतनाथ के जन्म से पवित्र राजगृही नगर बिहार प्रान्त के नालंदा जिले मे स्थित है। भगवान मुनिसुक्न नाथ ने राजराही के राजा सुमित्र की महारानी सोगा की पवित्र कुक्षि से वैशाख कृ. 12 के दिन जन्म लिया। इनके गर्भ जन्म, तप, ज्ञान इन चार कल्याणको से पावन राजगृही तीर्थ प्रसिद्ध है। जीवार कुमार, विद्युत्वर, गंधमालने आदि अनेक महामुनियों ने हँसी राजराही नगरी में पचपहाड़ी से विख्यात विपुलाचल, ऋषिगिरि आदि पर्वतों से घातिया अघातिया कर्मों का नाशकर | मोक्ष प्राप्त किया है, जिसके कारण यह तीर्थक्षेत्र के साथ ही सिद्धक्षेत्र भी माना जाता है। इसी नगरी के विपुलाचल | पर्वत पर भगवान महावीर स्वामी की प्रथम दिव्यध्वनि श्रावण कृ. एकम को खिरी थी।
ऐसी अनेको पौराणिक घटनाओं से परिपूर्ण इस नगरी में पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी की प्रेरणा से दिसम्बर 2003 में भगवान मुनिसुव्रतनाथ की सवा बारह फुट ऊँची खड्गासन प्रतिमा विराजमान हुई है तथा विपुलाचल पर्वत पर निर्मित में रशासन जयंती (14 जुलाई 2003) के दिन ही की प्रतिमा विराजमान की गई है तथा विपुलाचल | पर्वत की तलहटी में गौतमस्वामी के मानभंग के प्रतीक में एक उत्तुंग मानस्तंभ का निर्माण भी किया गया है।
इस धार्मिक व ऐतिहासिक पावनभूमि राजगृही को शत-शत नमन।