सच्चे आप्त (देव) का कहा हुआ प्रत्यक्ष, अनुमान आदि प्रमाणों से विरोध रहित जीवादि तत्त्वों का प्रतिपादन करने वाला शास्त्र ही सच्चा शास्त्र (आगम) है। इसे जिनवाणी भी कहते है।
नियमसार ग्रन्थ में आचार्य कुन्दकुन्द स्वामी ने लिखा है-
तस्स मुहग्गदवयणं पुव्वाषरदोषविरहियं सुद्धं।
आगमिदि परिकहियं तेणु दु कहिया हवंति तच्चत्था।।८।।
उनके मुख से निकली हुई वाणी जो कि पूर्वापर दोष (विरोध) रहित और शुद्ध है उसे आगम कहा है।