सम्यग्दर्शन के भेदो में एक भेद ‘आज्ञा’ सम्यक्तव है।
सम्यग्दर्शन के दो भेद- निसर्गज और अधिगमज है।
सम्यग्दर्शन के ३ भेद- औपशमिक, क्षायिक और क्षायोपशमिक है
सम्यग्दर्शन के दस भेद भी माने है- आज्ञा, मार्ग, उपदेश, सूत्र, बीज, संक्षेप, विस्तार, अर्थ से उत्पन्न होने वाले, अवगाढ और परमावगाढ़ ये दस भेद है।
आज्ञा सम्यक्तव- दर्शन मोह के उपशांत होने से ग्रन्थ श्रवण के बिना केवल वीतराग भगवान की आज्ञा से ही तत्त्व श्रद्धान होता है वह आज्ञा सम्यक्तव है।