नवधाभक्ति-
मुनिराज का पडगाहन करना,उन्हें उच्चस्थान पर विराजमान करना, उनके चरण धोना, उनकी पूजा करना, उन्हें नमस्कार करना, अपने मन-वचन काय की शुद्धि और आहार की विशुद्धि रखना, इस प्रकार दान देने वाले के यह नौ प्रकार का पुण्य अथवा नवधाभक्ति कहलाती है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]