प्रश्न १- द्रव्य कितने है?
उत्तर- द्रव्य छह है- जीव, पुद्गल , धर्म, अधर्म, आकाश और काल।
प्रश्न २- आकाश द्रव्य किसे कहते है?
उत्तर- जीवादि छहों द्रव्यों को अवकाश (स्थान) देने में समर्थ द्रव्य को आकाश द्रव्य कहते हैं।
प्रश्न ३- आकाश द्रव्य के कितने भेद है?
उत्तर- आकश द्रव्य के २ भेद है- लोकाकाश और अलोकाकाश
प्रश्न ४- लोकाकाश किसे कहते है?
उत्तर- जितने आकाश प्रदेशों में जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म और काल द्रव्य पाया जाय उसे लोकाकाश कहते हैं।
प्रश्न ५- अलोकाकाश किसे कहते है?
उत्तर- लोकाकाश के चारों तरफ अलोकाकाश है।
प्रश्न ६- आकाश द्रव्य रूपी है अथवा अरूपी?
उत्तर- आकाश द्रव्य अरूपी है।
प्रश्न ७- दस धर्म कौन-२ से है?
उत्तर- (१) उत्तम क्षमा (२) मार्दव (३)आर्जव (४) शौच (५) सत्य (६) संयम (७) तप (८) त्याग (९) आकिञचन्य (१०) ब्रह्मचर्य।
प्रश्न ८- आकिंचन्य धर्मस किसे कहते हैं ?
उत्तर- परिग्रह का पूर्ण रूप से त्याग करने को आकिञचन्य धर्म कहते है।
प्रश्न ९- अकिन्चन कौन कहलाते है?
उत्तर- जो भव्य जीव संसार शरीर और भोगों से विरक्त होकर गृह का त्याग कर देते हैं वे ही महासाधु अविंâचन कहलाते है।
प्रश्न १०- आप्त कौन है?
उत्तर- जो क्षुधा, तृषादि अट्ठारह दोषों से रहित ‘वीतराग’ सर्वज्ञ और हितोपदेशी हैं वे ही सच्चे आप्त- देव है।
प्रश्न ११- आप्त को किन-किन नामों से जान जाता है?
उत्तर- आप्त को अर्हंत, तीर्थंकर, जिनेन्द्र, भगवान, ईश्वर, आदि अनेक नामों से जान जाता है।
प्रश्न १२- अट्ठारह दोष कौन से है?
उत्तर- (१)क्षुधा (२) तृषा (३) रोग (४) शोक (५) जन्म (६) मरण (७) बुढ़ापा (८) भय (९) गर्व (१०) राग (११) द्वेष (१२) मोह (१३) चिन्ता (१४) अरति (१५) निद्रा (१६) विस्मय (१७) पसीना (१८) खेद।
प्रश्न १३- आगम किसे कहते है?
उत्तर- सच्चेदेव (आप्त) के द्वारा कहा हुआ प्रत्यक्ष, अनुमान आदि प्रमाणों से विरोध रहित जीवादि तत्त्वों का प्रतिपादन करने वाले शास्त्र को आगम कहते है।
प्रश्न १४- आगम को और किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर- आगम को जिनवाणी भी कहते है।
प्रश्न १५- सप्तपरमस्थान के नाम बताओ?
उत्तर-(१)सज्जाति (२) सदृगृहस्थ (३) पारिव्राज्य (४) सुरेन्द्रता (५) साम्राज्य (६) आर्हन्त्य (७) परिनिर्वाण।
प्रश्न १६- ‘आर्हन्त्य’ परमस्थान का क्या लक्षण है?
उत्तर- स्वर्ग से अवतीर्ण हुए अर्हन्त परमेष्ठी को जो पंचकल्याणक रूप सम्पदाओं की प्राप्ति होती है उसे ‘आर्हन्त्य’ परम स्थान कहते है।
प्रश्न १७- संस्थानविचय धर्मध्यान के कितने भेद है?
उत्तर- संस्थान विचय धर्मध्यान के ४ भेद हैं- (१) पिण्डस्थ (२) पदस्थ (३) रूपस्थ (४) रूपातीत।
प्रश्न १८- पिण्डस्थ ध्यान में कितनी धारणाएं है?
उत्तर- पिण्डस्थ ध्यान में पाँच धारणांए है- (१) पार्थिवी (२) आग्नेयी (३) श्वसना (४) वारूणी (५) तत्त्वरूपवती
प्रश्न १९- आग्नेयी धारणा का मतलब क्या है?
उत्तर- कर्मों को जलाने की प्रक्रिया आग्नेयी धारणा है।
प्रश्न २०- सम्यग्दर्शन के दो भेद कौन से है?
उत्तर- (१) निसर्गज (२) अधिगमज
प्रश्न २१- सम्यग्दर्शन के तीन भेद कौन से है?
उत्तर- (१) औपशमिक (२) क्षायिक (३) क्षायोपशमिक
प्रश्न २२- सम्यग्दर्शन के दस भेद बताओ?
उत्तर- (१) आज्ञा (२) मार्ग (३) उपदेश (४) सूत्र (५) बीज (६) संक्षेप (७) विस्तार (८) अर्थ (९) अवगाढ़ (१०) परमावगाढ़ ।
प्रश्न २३- आज्ञा सम्यक्तव किसे कहते है?
उत्तर- दर्शन मोह के उपशांत होने से ग्रन्थ श्रवण के बिना केवल वीतराग भगवान की आज्ञा से ही जो तत्त्व श्रद्धान होता है उसे आज्ञा सम्यक्तव कहते हैं।
प्रश्न २४- आचार्य परमेष्ठी के कितने मूलगुण होते है?
उत्तर- आचार्य परमेष्ठी के ३६ मूलगुण होते है।
प्रश्न २५- वे कौन-कौन से है?
उत्तर- १२ तप, १० धर्म, ५ आचार, ६ आवश्यक और ३ गुप्ति ये ३६ मूलगुण आचार्य परमेष्ठी के है।
प्रश्न २६- आचार किसे कहते है?
उत्तर- अपनी शक्ति के अनुसार निर्मल किए गए सम्यग्दर्शनादि में जो यत्न किया जाता है उसे आचार कहते है।
प्रश्न २७- आचार के कितने और कौन से भेद है?
उत्तर- आचार के पाँच भेद है-
(१) दर्शनाचार (२) ज्ञानाचार (३) चारित्ताचार (४) तपाचार (५) वीर्याचार
प्रश्न २८- परमेष्ठी कितने और कौन से है?
उत्तर- परमेष्ठी पाँच है- (१) अरिहंत (२)सिद्ध (३) आचार्य (४) उपाध्याय (५) साधु।
प्रश्न २९- आचार्य परमेष्ठी किस कहते है?
उत्तर- जो पंचाचारों का स्वयं आचरण करते है और अन्यों से कराते हैं तथा छत्तीस गुणों से सहित होते हैं वे आचार्य परमेष्ठी कहलाते है।
प्रश्न ३०- आचार्यों के भेद कौन से है?
उत्तर- गृहस्थाचार्य, प्रतिष्ठाचार्य, बालाचार्य, निर्यापकाचार्य, एलाचार्य इतने प्रकार के आचार्यो का कथन आगम में पाया जाता है।
प्रश्न ३१- दिगम्बर जैन साधु के कितने मूलगुण होते है?
उत्तर- दिगम्बर जैन साधु के २८ मूलगुण होते है।
प्रश्न ३२- अट्ठाईस मूलगुण कौन से है?
उत्तर- ५ महाव्रत, ५ समिति, ५ इन्द्रिय विजय, छह आवश्यक और शेष सात गुण मिलाकर २८ मूलगुण है।
प्रश्न ३३- ५ महाव्रत कौन से है?
उत्तर- (१) अहिंसा (२) सत्य (३) अचौर्य (४) ब्रह्ममर्य (५) अपरिग्रह।
प्रश्न ३४- ५ समिति के नाम बताओ?
उत्तर- (१) ईर्यासमिति (२) भाषा समिति (३) एषणा समिति (४) आदान निक्षेपण समिति (५) प्रतिष्ठापना समिति।
प्रश्न ३५- ५ इन्द्रिय विजय बताओ?
उत्तर- स्पर्शन, रसना, घ्राण, चक्षु, कर्ण इन पाँचों इन्द्रियो का वश करना ५ इन्द्रिय विजय है।
प्रश्न ३६- छह आवश्यक कौन से है?
उत्तर- (१) समता (२) वन्दना (३) स्तव (४) प्रतिक्रमण (५) प्रत्याख्यान (६) व्युत्सर्ग
प्रश्न ३७- साधु के शेष सात गुण कौन से है?
उत्तर- (१) स्नान का त्याग (२) भूमि पर शयन (३) वस्त्र त्याग (४) केशों का लोच (५) दिन में एक बार लघु भोजन (६) दांतोन का त्याग (७) खड़े होकर आहार ग्रहण । ये शेष सात गुण है।
प्रश्न ३८- नाम कर्म की कितनी प्रकृतियां है?
उत्तर- नाम कर्म की ८३ प्रकृतियाँ है।
प्रश्न ३९- आतप नाम कर्म का लक्षण क्या है?
उत्तर- जिसके उदय से पर को आताप करने वाला शरीर हो उसे आतप नामकर्म कहते है।
प्रश्न ४०- आतप नाम कर्म का उदय किसमें पाया जाता है?
उत्तर- सूर्य के बिम्ब में स्थित पृथ्वीकायिक बादर जीव के आतप नाम कर्म का उदय होता है।
प्रश्न ४१- ज्योतिषी देव कितने प्रकार के होते है?
उत्तर- ज्योतिषी देव पाँच प्रकार के होते है- (१) सूर्य (२) चन्द्रमा (३) गृह (४) नक्षत्र (५) तारा।
प्रश्न ४२- इन्हें ज्योतिष्क देव क्यों कहते है?
उत्तर- इनके विमान चमकीले होने से इन्हें ज्योतिष्क देव कहते है।
प्रश्न ४३- आठ कर्म के नाम बताओ?
उत्तर- (१) ज्ञानावरण (२) दर्शनावरण (३) वेदनीय (४) मोहनीय (५) आयु (६) नाम (७) गोत्र (८) अंतराय ।
प्रश्न ४४- ‘आत्मख्याति’ टीका किस आचार्य ने लिखी?
उत्तर- श्री अमृतचंद सूरि ने ‘आत्मख्याति’ टीका लिखी ।
प्रश्न ४५- किस ग्रन्थ पर यह टीका लिखी?
उत्तर- समयसार ग्रन्थ पर यह टीका लिखी।
प्रश्न ४६- आत्मा का लक्षण क्या है?
उत्तर- जिसमें चेतना गुण पाया जाय वह आत्मा है।
प्रश्न ४७- आत्मा के कितने भेद है?
उत्तर- आत्मा के ३ भेद हैं- (१) अंतरात्मा (२) बहिरात्मा (३) परमात्मा ।
प्रश्न ४८- जैनधर्म के प्रथम तीर्थंकर कौन है?
उत्तर- जैनधर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ है।
प्रश्न ४९- आदिनाथ भगवान को किन-किन नामों से जान जाता है?
उत्तर- आदिनाथ भगवान को आदिब्रह्मा, पुरूदेव, वृषभदेव, ऋषभदेव, युगादि पुरूष, विधाता आदि अनेक नामों से जान जाता है।
प्रश्न ५०- भगवान आदिनाथ का जन्म कब हुआ?
उत्तर- जब तृतीय काल में चौरासी लाख वर्ष पूर्व, तीन वर्ष साढ़े आठ मास प्रमाण काल शेष रह गया था तब भगवान आदिनाथ का जन्म हुआ।
प्रश्न ५१- भगवान ऋषभदेव का जन्म कहाँ हुआ?
उत्तर- भगवान ऋषभदेव का जन्म् शाश्वत तीर्थ अयोध्या में हुआ।
प्रश्न ५२- भगवान आदिनाथ्ज्ञ के माता-पिता का नाम बताओ?
उत्तर- भगवान आदिनाथ की माता का नाम महारानी मरूदेवी और पिता का नाम महाराजा नाभिराय था।
प्रश्न ५३- भगवान आदिनाथ का विवाह किसके साथ हुआ ?
उत्तर- भगवान आदिनाथ का विवाह यशस्वती और सुनन्दा नाम की कन्याओं के साथ हुआ।
प्रश्न ५४- भगवान आदिनाथ के कितने पुत्र एवं कितनी पुत्रियां थी?
उत्तर- भगवान आदिनाथ के भरत बाहुबली आदि १०१ पुत्र और २ पुत्रियां थी।
प्रश्न ५५- भगवान ऋषभदेव के प्रथम पुत्र एवं पुत्रियों का नाम बताओ?
उत्तर- भगवान ऋषभदेव के प्रथम पुत्र ‘भरत’ एवं ब्राह्मी, सुन्दरी पुत्रियां थी।
प्रश्न ५६- भगवान ने कौन सी षट् क्रियायें प्रजा को बताई?
उत्तर- (१) असि, (२) मसि, (३) कृषि (४) वाणिज्य (५) शिल्प (६) कला ये षट् क्रियायें प्रजा को बताई।
प्रश्न ५७- भगवान ऋषभदेव ने मोक्ष कहाँ से प्राप्त किया ?
उत्तर- भगवान ऋषभदेव ने वैâलाश पर्वत से मोक्ष प्राप्त किया ।
प्रश्न ५८- ‘आदेय’ नाम प्रकृति का लक्षण बताओ?
उत्तर- जिसके उदय से कांति सहित शरीर प्राप्त हो उसे आदेय कहते है।
प्रश्न ५९- आनुपूर्वी नाम कम्र का लक्षण बताओ?
उत्तर- जिसके उदय से विग्रह गति में मरण से पहले के शरीर के आकार से आत्मा के प्रदेश बने रहे अर्थात् पहले शरीर के आकार का नाश न हो उसे ‘आनुपूर्वी’ कहते है।
प्रश्न ६०- आनुपूर्वी नाम कर्म के कितने और कौन से भेद है?
उत्तर- आनुपूर्वी नाम कर्म के चार भेद है- (१) नरकगत्यानुपूर्वी (२) तिर्यंचगत्यानुपूर्वी (३) मनुष्यगत्यानुपूर्वी (४) देवगत्यानुपूर्वी
प्रश्न ६१- आप्तमीमांसा ग्रन्थ की रचना किसने की?
उत्तर- आप्तमीमांसा ग्रन्थ की रचना आचार्य श्री समन्तभद्र स्वामी ने की ।
प्रश्न ६२- आप्तमीमांसा ग्रन्थ का दूसरा नाम क्या है?
उत्तर- आप्तमीमांसा ग्रन्थ का दूसरा नाम ‘देवागम’ स्तोत्र है।
प्रश्न ६३- आयु कर्म का लक्षण क्या है?
उत्तर- जो जीव को उस- उस स्थान में –पर्याय में रोके उसे आयु कर्म कहते है।
प्रश्न ६४- आयु कर्म के कितने और कौन से भेद है?
उत्तर- आयु कर्म के ४ भेद है- (१) नरकायु (२) तिर्यंचायु (३) मनुष्यआयु (४) देवायु ।
प्रश्न ६५- ‘प्राण’ कितने होते है?
उत्तर- प्राण दस होते है। – ५ इन्द्रिय, ३ बल, आयु और श्वासोच्छवास।
प्रश्न ६६- पाँच इन्द्रियां कौन सी है?
उत्तर- (१) स्पर्शन (२) रसना (३) घ्राण (४) चक्षु (५) कर्ण।
प्रश्न ६७- तीन बल कौन से है?
उत्तर- (१) मनबल (२) वचन बल (३) काय बल
प्रश्न ६८- आराधना किसे कहते है?
उत्तर- जिनेन्द्र देव की अष्ट द्रव्य से पूजा, जिनवाणी की पूजा और गुरूओं की पूजा करना आराधना है।
प्रश्न ६९- आराधना के कितने भेद है?
उत्तर- आराधना के ४ भेद है- (१) दर्शन (२) ज्ञान (३) चारित्र (४) तप
प्रश्न ७०- आर्जव धर्म का लक्षण क्या है?
उत्तर- मन, वचन, काय की सरलता का नाम आर्जव धर्म है।
प्रश्न ७१- मायाचारी से कौन सी गति मिलती है?
उत्तर- मायाचारी से तिर्यंच गति मिलती है।
प्रश्न ७२- ध्यान के कितने और कौन से भेद है?
उत्तर- ध्यान के ४ भेद है- (१) आर्त ध्यान (२) रौद्रध्यान (३) धर्मध्यान (४) शुक्ल ध्यान
प्रश्न ७३- ध्यान किसे कहते है?
उत्तर- एक विषय में चित्तवृत्ति को रोकना ध्यान है।
प्रश्न ७४- कौन से ध्यान संसार के कारण है?
उत्तर- आर्त और रौद्र ध्यान संसार के कारण है।
प्रश्न ७५- कौन से ध्यान मोक्ष के हेतु हैं।
उत्तर- धर्मध्यान और शुक्ल ध्यान मोक्ष के हेतु हैं।
प्रश्न ७६- आत्र्त ध्यान का लक्षण बताओ?
उत्तर- पीड़ा से उत्पन्न हुए ध्यान को आत्र्तध्यान कहते है।
प्रश्न ७७- आत्र्त ध्यान के कितने और कौन से भेद है?
उत्तर- आत्र्त ध्यान के ४ भेद है- (१) इष्ट वियोगज (२) अनिष्ट संयोगज (३) वेदनाजन्य (४) निदानज
प्रश्न ७८- आर्य किसे कहते है?
उत्तर- जो गुणों या गुणवालों के द्वारा माने जाते हैं वे आर्य कहलाते है।
प्रश्न ७९- आर्य के कितने कौन से भेद है?
उत्तर- आर्य के दो भेद है- (१) ऋद्धि प्राप्तआर्य (२) ऋद्धि रहित आर्य।
प्रश्न ८०- ऋद्धि रहित आर्य के कितने भेद है?
उत्तर- ऋद्धि रहित आर्य के पांच भेद है- (१) क्षेत्रार्य (२) जात्यार्य (३) कर्मार्य (४) चारित्रार्य (५) दर्शनार्य ।
प्रश्न ८१- क्षेत्रार्य किसे कहते है?
उत्तर- काशी कौशल आदि उत्तम देशों में उत्पन्न हुओं को क्षेत्रार्य कहते है।
प्रश्न ८२- जात्यार्य किसे कहते है?
उत्तर- इक्ष्वाकु, ज्ञाति, भोज आदिक उत्तम कुलों में उत्पन्न हुओं का जात्यार्य कहते है।
प्रश्न ८३- कर्मार्य कितने प्रकार के है?
उत्तर- कर्मार्य तीन प्रकार के है- (१) सावद्य कर्म आर्य (२) अल्पसावद्य कर्मार्य (३) असावद्य कर्मार्य।
प्रश्न ८४- अल्प सावद्य कर्मार्य के कितने भेद है?
उत्तर- अल्प सावद्य कर्मार्य के छ: भेद है- असि, मसि, कृषि, वाणिज्य, विद्या और शिल्प
प्रश्न ८४- चारित्रार्य कितने प्रकार के है?
उत्तर- चारित्रार्य २ प्रकार के है- (१) अधिगत चारित्रार्य (२) अनधिगत चारित्रार्य
प्रश्न ८५- दर्शर्ना कितने प्रकार के है?
उत्तर- दर्शनार्य दस प्रकार के है- (१) आज्ञा (२) मार्ग (३) उपदेश (४) सूत्र (५) बीज (६) संक्षेप (७) विस्तार (८) अर्थ (९) अवगाढ़ (१०) परमावगाढ़ रूचि के भेद से।
प्रश्न ८६- भरत क्षेत्र में कितने आर्यखण्ड है?
उत्तर- भरत क्षेत्र में एक आर्यखण्ड है।
प्रश्न ८७- जम्बूद्वीप में कुल कितने आर्यखण्ड है?
उत्तर- जम्बूद्वीप में कुल ३४ आर्यखण्ड है।
प्रश्न ८८- ढाई द्वीप में कितने आर्यखण्ड है?
उत्तर- ढाई द्वीप में १७० आर्यखण्ड है।
प्रश्न ८९- षट् काल पिरवर्तन कहाँ होता है?
उत्तर- षट् काल परिवर्तन भरत क्षेत्र एवं ऐरावत क्षेत्र के आर्यखण्ड में होता हैं।
प्रश्न ९०- षट् काल परिवर्तन के नाम बताओ?
उत्तर- (१) सुषमा-सुषमा (२) सुषमा (३) सुषमा दुषमा (४) दुषमा सुषमा (५) दुषमा (६) दुषमा-दुषमा
प्रश्न ९१- वर्तमान में कौन सा काल चल रहा है?
उत्तर- वर्तमान में दुषमा नाम का पंचम काल चल रहा है।
प्रश्न ९२- चतुर्विध संघ किसे कहते है?
उत्तर- मुनि, आर्यिका, श्रावक, श्राविका ये चतुर्विध संघ कहे जाते है।
प्रश्न ९३- आर्यिकाओं के कितने मूलगुण होते है?
उत्तर- आर्यिकाओं के भी मुनि के समान २८ मूलगुण होते है।
प्रश्न ९४- आर्यिकाओं के कौन से मूलगुण में मुनियों से अन्तर है?
उत्तर- आर्यिकाएं बैठकर आहार लेती है और २ साड़ी मात्र परिग्रह रखती हैं ये दो मूलगुण में अन्तर है।
प्रश्न ९५- आर्यिकाओं को कौन सा गुणस्थान होता है?
उत्तर- आर्यिकाओं को पंचम गुणस्थान होता है।
प्रश्न ९६- आर्यिकाएं किस रूप में महाव्रती कही जाती है?
उत्तर- आर्यिकाएं उपचार से महाव्रती कही जाती है।
प्रश्न ९७- आर्यिकाएं ऐलक की अपेक्षा श्रेष्ठ वैâसे है?
उत्तर- ग्यारहवीं प्रतिमा धारी ऐलक लंगोटी में ममत्व सहित होने से उपचार महाव्रत के योग्य नहीं है किन्तु आर्यिका एक साड़ी मात्र धारण करने पर भी ममत्व रहित होने से उपचार महाव्रत के योग्य है अत: ऐलक से श्रेष्ठ है।
प्रश्न ९८- मुनियों में प्रमुख कौन है?
उत्तर- आचार्य मुनियों में प्रमुख हैं।
प्रश्न ९९- आर्यिकाओं में प्रमुख कौन है?
उत्तर- आर्यिकाओं में प्रमुख ‘गणिनी’ है।
प्रश्न १००- कल्पवृक्ष कितने प्रकार के होते है? उनके नाम बताओ?
उत्तर- कल्पवृक्ष १० प्रकार के होते है- (१) पानांग (२) तूर्यांग (३) भूषणांग (४) वस्त्रांग (५) भोजनांग (६) आलयांग (७) दीपांग (८) भाजनांग (९) मालांग (१०) ज्योतिरंग ।
प्रश्न १०१- ‘आलयांग’ नाम का कल्पवृक्ष क्या प्रदान करता है?
उत्तर- ‘आलयांग’ नाम का कल्पवृक्ष स्वस्तिक, नंद्यावर्त आदि सोलह प्रकार के दिव्य भवनों को प्रदान करता है।
प्रश्न १०२- कल्पवृक्ष पृथ्वीकायिक है या वनस्पति कायिक?
उत्तर- कल्पवृक्ष पृथ्वीकायिक है।
प्रश्न १०३- प्रायश्चित्त तप के कितने भेद है नाम बताओ?
उत्तर- प्रायश्चित्त तप के ९ भेद है- (१) आलोचना (२) प्रतिक्रमण (३) तदुभय (४) विवेक (५) व्युत्सर्ग (६) तप (७) छेद (८) परिहार (९) उपस्थापना
प्रश्न १०४- आलोचना किसे कहते है?
उत्तर- प्रमाद से लगे दोषो को गुरू के पास जाकर निष्कपट रीति से कहना, आलोचना है।
प्रश्न १०५- सात प्रकार की आलोचना कौन सी है?
उत्तर- (१) दैवसिक (२) रात्रिक (३) ईर्यापथिक (४) पाक्षिक (५) चातुर्मासिक (६) सांवत्सरिक (७) उत्तमार्थ।
प्रश्न १०६- आलोचना के २ भेद कौन से है?
उत्तर- (१) ओधालोचना (२) पदविभागी आलोचना
प्रश्न १०७- आलोचना के १० अतिचार बताओ?
उत्तर- (१) आकंपित (२) अनुमानित (३) यद्दृष्ट (४) स्थूल (५) सूक्ष्म (६) छन्न (७) शब्दाकुलित (८) बहुजन (९) अव्यक्त (१०) तत्सेवी।
प्रश्न १०८- आवर्त किसे कहते है?
उत्तर- सामायिक में दोनों हाथों को जोड़कर दायें से बायें घुमाना आवर्त है।
प्रश्न १०९- एक कायोत्सर्ग में कितने आवर्त होते है?
उत्तर- एक कायोत्सर्ग में १२ आवर्त होते है।
प्रश्न ११०- आवर्त के कितने भेद है?
उत्तर- मन, वचन, काय की अपेक्षा आर्वत के ३ भेद है।
प्रश्न १११- श्रावक की षट् आवश्यक क्रियायें कौन सी है?
उत्तर- (१) देव पूजा (२) गुरूपास्ति (३) स्वाध्याय (४) संयम (५) तप (६) दान ।
प्रश्न ११२- साधुओं की छह आवश्यक क्रियायें कौन सी है?
उत्तर- (१) समता (२) वन्दना (३) स्तव (४) प्रतिक्रमण (५) प्रत्याख्यान (६) व्युत्सर्ग
प्रश्न ११३- तीर्थंकर प्रकृति का बन्ध किससे होता है?
उत्तर- तीर्थंकर प्रकृति का बन्ध कराने वाली सोलह कारण भावनाएं है।
प्रश्न ११४- आवश्यकापरिहाणि भावना का क्या अर्थ है?
उत्तर- छह आवश्यक क्रियाओं का सावधानी से पालन करना आवश्यकापरिहाणि भावना है।
प्रश्न ११५- सोलह कारण भावनाओं के नाम बताओ?
उत्तर- (१) दर्शन विशुद्धि (२) विनय सम्पन्नता (३) शीलव्रतेष्वनतिचार (४) अक्षीक्ष्णज्ञायोपयोग (५) संवेग (६) शक्तितस्त्याग (७) शक्तितस्तप (८) साधु समाधि (९) वैयावृत्य करण (१०) अर्हन्तभक्ति (११) आचार्य भक्ति (१२) बहुश्रुत भक्ति (१३) प्रवचन भक्ति (१४) आवश्यक अपरिहाणि (१५) मार्ग प्रभावना (१६) प्रवचन वत्सलत्व।
प्रश्न ११६- भवनवासी एवं व्यंतर वासी देवों के निवास स्थान कहा है?
उत्तर- भवनवासी एवं व्यंतरवासी देवों के निवास स्थान रमणीय तालाब, पर्वत वृक्षादिकों पर द्वीप समुद्रो के ऊपर है।
प्रश्न ११७- इन देवों के निवास स्थान के कितने भेद है?
उत्तर- ३ भेद है- (१) भवन (२) भवनपुर (३) आवास
प्रश्न ११८- रत्नप्रभा पृथ्वी के कितने भाग है?
उत्तर- रत्नप्रभा पृथ्वी के ३ भाग है- (१) खरभाग (२) पंक भाग (३) अब्बहुल भाग ।
प्रश्न ११९- ऋद्धियों के कितने भेद है?
उत्तर- ऋद्धियों के आठ भेद है- (१) बुद्धिऋद्धि (२) विक्रिया ऋद्धि (३) क्रिया ऋद्धि (४) तपऋद्धि (५) बल ऋद्धि (६) औषधि ऋद्धि (७) रस ऋद्धि (८) क्षेत्र ऋद्धि ।
प्रश्न १२०- रस ऋद्धि के कितने भेद है?
उत्तर- रस ऋद्धि के ६ भेद है।
प्रश्न १२१- आशीर्विष रस ऋद्धि का लक्षण क्या है ?
उत्तर- जिस शक्ति से दुष्कर तप से युक्त मुुनि के द्वारा ‘मर जाओ’ इस प्रकार कहने पर जीव सहसा मर जावे। ऐसी शक्ति, होती है उसे आशीर्विष रस ऋद्धि कहते है।
प्रश्न १२२- जैनों के आश्रम के कितने भेद है?
उत्तर- जैनों के आश्रम के चार भेद है- (१) ब्रह्मचारी (२) गृहस्थ (३) वानप्रस्थ (४) भिक्षुक ।
प्रश्न १२३- ब्रह्मचर्य आश्रम किसे कहते है?
उत्तर- जहाँ कुमार काल में प्रवेश कर अर्थात् गुरूकुल आदि में रहकर यज्ञोपवीत संस्कार से सुसंस्कृत होकर शास्त्रों का अभ्यास करता है वह ब्रह्मचर्य आश्रम है।
प्रश्न १२४- गृहस्थ आश्रम में गृहस्थों के छह आर्यकर्म कौन से है?
उत्तर- (१) इज्या (२) वार्ता (३) दत्ति (४) स्वाध्याय (५) संयम (६) तप ।
प्रश्न १२५- इन षट् कर्मों में तत्पर गृहस्थ कितने प्रकार के है?
उत्तर- दो प्रकार के होते है- (१) जाति क्षत्रिय (२) तीर्थ क्षत्रिय ।
प्रश्न १२६- जाति क्षत्रिय कौन है?
उत्तर- चार वर्णों में से क्षत्रिय वर्ण में जन्म लेने वाले जाति क्षत्रिय है।
प्रश्न १२७- तीर्थ क्षत्रिय कौन है?
उत्तर- तीर्थंकर, नारायण, चक्रवर्ती आदि तीर्थ क्षत्रिय कहलाते है।
प्रश्न १२८- वानप्रस्थ आश्रम किसे कहते है?
उत्तर- जो दिगम्बर रूप को धारण न करके खंडवस्त्र को धारण करते हैं अर्थात् क्षुल्लक, ऐलक अवस्था में रहते हैं वे वानप्रस्थ कहलाते है।
प्रश्न १२ ९- भिक्षुक किसे कहते है?
उत्तर- भगवान अर्हंत देव की दिगम्बर अवस्था को धारण करने वाले भिक्षु कहलाते है।
प्रश्न १३०- भिक्षु कितने प्रकार के होते है?
उत्तर- भिक्षु के ४ भेद है- (१) अनगार (२) यति (३) मुनि (४) ऋषि
प्रश्न १३१- आसन से क्या मतलब है?
उत्तर- ध्यान के समय प्रयोग करने की क्रिया आसन है।
प्रश्न १३२- आसन कितने प्रकार के है?
उत्तर- पद्मासन, अर्धपआसन, वङ्काासनस, वीरासन, सुखासन, कमलासन, कायोत्सर्ग ये ध्यान के योग्य आसन माने गए है।
प्रश्न १३३- आसादना किसे कहते है?
उत्तर- जैसे का तैसा नही कहना बल्कि जीव आदि तत्त्वों पर शंका करना आसादना है।
प्रश्न १३४- ‘आस्तिक्य’ का लक्षण बताओ?
उत्तर- सर्वज्ञ वीतराग देव द्वारा प्रणीत जीवादिक तत्त्वों में रूचि होने को आस्तिक्य कहते है।
प्रश्न १३५- तत्त्व कितने होते है?
उत्तर- तत्त्व सात होते हैं- (१) जीव (२) अजीव (३) आस्रव (४) बंध (५) संवर (६) निर्जरा (७) मोक्ष
प्रश्न १३६- आश्रव का लक्षण बताओ?
उत्तर- आत्मा में शुभ-अशुभ कर्मों का आना आस्रव है।
प्रश्न १३७- साम्परायिक आस्रव किसको होता है?
उत्तर- कषाय सहित योग वाले जीवो को साम्परायिक आस्रव होता है।
प्रश्न १३८- ईर्यापथ आस्रव किसको होता है?
उत्तर- कषाय सहित वाले जीवों के ईर्यापथ आस्रव होता है।
प्रश्न १३९- साम्परायिक आस्रव के कितने, कौन से भेद है?
उत्तर- साम्परायिक आस्रव के ३९ भेद है- ५ इन्द्रिया, ४ कषाय, ५ अव्रत और २५ क्रियायें
प्रश्न १४०- आस्रव के २ भेद कौन से है?
उत्तर- (१) द्रव्यास्रव (२) भावास्रव
प्रश्न १४१- द्रव्यास्रव किसे कहते है?
उत्तर- ज्ञानावरणादि कर्मों के योग्य जो पुद्गल आता है उसे द्रव्यास्रव कहते है।
प्रश्न १४२- भावास्रव किसे कहते है?
उत्तर- आत्मा के जिस परिणाम से पुद्गल द्रव्य कर्म बनकर आत्मा में आता है उस परिणाम को भावास्रव कहते है।
प्रश्न १४३- ‘आहार’ किसे कहते है?
उत्तर- तीन शरीर और छह पर्याप्तियों के योग्य पुद्गलों के ग्रहण करने को ‘आहार’ कहते है।
प्रश्न १४४- आहार के भेद बताओ?
उत्तर- आहार के ४ भेद है- (१) कर्माहारादि (२) खाद्यादि (३) कांजी आदि (४) पानकादि।
प्रश्न १४५- कर्माहारादि से क्या-२ लेना?
उत्तर- (१) कर्माहार (२) नोकर्माहार (३) कवलाहार (४) लेप्याहार (५) ओजाहार (६) मानसाहार
प्रश्न १४६- खाद्यादि से क्या-२ आता है?
उत्तर- अशन, पान, भक्ष्य या खाद्य, लेह्य, स्वाद्य ।
प्रश्न १४७- कांजी आदि से क्या लेना?
उत्तर- कांजी, आंवली या आचाम्ल, बेलड़ी, एकलटाना।
प्रश्न १४८- पानकादि से क्या लेना?
उत्तर- स्वच्छ, बहल, लेवड़, अलेवड़, ससिक्थ, असिक्थ
प्रश्न १४९- नवधा भक्ति के नाम बताओ?
उत्तर- (१) पड़गाहन (२) उच्चासन (३) पादप्रक्षालन (४) पूजन (५) नमस्कार (६) मनशुद्धि (७) वचनशुद्धि (८) कायशुद्धि (९) आहार जल शुद्धि।
प्रश्न १५०- दाता के सात गुण कौन से है?
उत्तर- (१) श्रद्धा (२) भक्ति (३) विज्ञान (४) सन्तोष (५) शक्ति (६) अलुण्धता (७) क्षमा ।
प्रश्न १५१- आहारक किसे कहते है?
उत्तर- जो जीव औदारिक, वैक्रियिक और आहारक इन शरीरों में से उदय को प्राप्त हुए किसी एक शरीर के योग्य शरीर वर्गणा को तथा भाषा वर्गणा और मनोवर्गणा को नियम से ग्रहण करता है, वह आहारक कहा गया है।
प्रश्न १५२- अनाहारक किसे कहते है?
उत्तर- तीनों शरीरों और छह पर्याप्तियों के योग्य पुद्गलों रूप आहार जिनके नही होता, वह अनाहारक कहलाते है।
प्रश्न १५३- शरीर के कितने भेद है? नाम बताओ?
उत्तर- शरीर के ५ भेद है- (१) औदारिक (२) वैक्रियक (३) आहारक (४) तैजस (६) कार्माण।
प्रश्न १५४- आहारक शरीर किसे कहते है?
उत्तर- छठे गुणस्थानवर्ती मुनि के द्वारा सूक्ष्म पदार्थों को जानने के लिए अथवा संयम की रक्षा, तीर्थ वन्दना हेतु, अन्य क्षेत्र में मौजूद केवली या श्रुत केवली के पास भेजने के लिए मुनि के मस्तक से जो एक हाथ का सफेद रंग का पुतला निकलता है उसे आहारक शरीर कहते है।
प्रश्न १५५- आहारक शरीर की जघन्य एवं उत्कृष्ट स्थिति कितनी है?
उत्तर- अन्तर्मुहूत मात्र है।
प्रश्न १५६- समुद्घात किसे कहते है?
उत्तर- मूल शरीर को न छोड़कर तैजस-कार्माण रूप उत्तरदेह के साथ-साथ जीव प्रदेशों के शरीर से बाहर निकलने को समुद्घात कहते है।
प्रश्न १५७- समुद्घात के कितने भेद बताओ?
उत्तर- समुद्घात के ७ भेद है- (१) वेदना (२) कषाय (३) वैक्रियक (४) मारणातिक (५) तैजस (७) आहारक (८) केवली।
प्रश्न १५८- पर्याप्ति किसे कहते है?
उत्तर- गृहीत आहार वर्गणा का खल रस भाग आदि रूप परिणमाने की जीव की शक्ति के पूर्ण हो जाने को पर्याप्ति कहते है।
प्रश्न १५९- पर्याप्ति के भेद बताओ?
उत्तर- पर्याप्ति के छह भेद है- (१) आहार (२) शरीर (३) इन्द्रिय (४) श्वासोच्छवास (५) भाषा (६) मन।
प्रश्न १६०- एकेन्द्रिय जीवों के कितनी पर्याप्ति होती है?
उत्तर- एकेन्द्रिय जीवों के प्रारम्भ की ४ पर्याप्ति होती है- आहार, शरीर इन्द्रिय, श्वासोच्छवास।
प्रश्न १६१- दो इन्द्रिय, तीन इन्द्रिय चार इन्द्रिय और असंज्ञी पाचेन्द्रिय जीवों के कितनी पर्याप्ति होती है?
उत्तर- इन जीवों के मन रहित पाँच पर्याप्ति होती है। संज्ञी जीवों में मन सहित छह पर्याप्तियां होती है।
प्रश्न १६२- संज्ञा किसे कहते है?
उत्तर- वाञछा को संज्ञा कहते है। जिसके निमित्त से दोनों ही भवों में दारूण दुख की प्राप्ति होती है उस वांछा को संज्ञा कहते है।
प्रश्न १६३- संज्ञा कितने प्रकार की होती है?
उत्तर- संज्ञा चार प्रकार की होती है- (१) आहार (२) भय (३) मैथुन (४) परिग्रह
प्रश्न १६४- आदेय नाम कर्म का लक्षण बताओ?
उत्तर- जिस कर्म के उदय से कांति सहित शरीर हो उसे आदेय नाम कर्म कहते है।
प्रश्न १६५- आबाधा काल किसे कहते है?
उत्तर- कर्म का बंध हो जाने के पश्चात् वह तुरंत ही उदय में नहीं आता, बल्कि कुछ काल पश्चात् परिपक्व दशा को प्राप्त होकर ही उदय में आता है। इस काल को आबाधा काल कहते है।