पूज्यश्री का नाम –आचार्य श्री १०८ विमद सागर जी महाराज
गृहस्थावस्था नाम- श्री संजय कुमार जैन
जन्मस्थान – शाहगढ़ (सागर) म. प्र.
जन्मतिथि व दिनाँक – ९ नवम्बर, १९७६
जाति – जैन गोलापूरब
गोत्र – बनोनया
माता का नाम श्रीमति सुशीला जैन
पिता का नाम श्री शीलचंद जैन (मलेरिया इंसपेक्टर)
लौकिक शिक्षा – ९ वीं कक्षा पास
आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत/प्रतिमा-व्रत ग्रहण करने का विवरण – आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत, ८ अक्टूबर, १९९२ द्वारा – परम पूज्य आचार्य श्री विराग सागर जी महाराज
क्षुल्लक/क्षुल्लिका दीक्षा तिथि, दिनाँक व स्थान –२८ जनवरी, १९९६ सागर (मंगलगिरि)
क्षुल्लक/क्षुल्लिका दीक्षा गुरु –आचार्य श्री विरागसागर जी महाराज
ऐलक दीक्षा तिथि, दिनाँक व स्थान –२५ जून, १९९८ शोरीपुर बटेश्वर (शिकोहाबाद)
ऐलक दीक्षा गुरु –आचार्य श्री विराग सागर जी महाराज
मुनि दीक्षा तिथि, दिनाँक व स्थान – १४ दिसम्बर, १९९८ अतिशय क्षेत्र बरासो (भिण्ड)
मुनि दीक्षा गुरु – आचार्य श्री विराग सागर जी महाराज
आर्यिका दीक्षा तिथि, दिनाँक व स्थान –क्षु. पद्मश्री की आर्यिका दीक्षा दो नाम
आर्यिका दीक्षा गुरु –.आर्यिका वियोग श्रीमाताजी दीक्षा स्थल (छतरपुर) म. प्र.
आचार्य/उपाध्याय/गणिनी आदि पदारोहण तिथि व स्थान – १३ फरवरी, २००५ कुंथुगिरी महाराष्ट्र, आचार्य पद संस्कार ३१ मार्च, २००७ औरंगाबाद महाराष्ट्र राजा बाजार आचार्य पद प्रदाता गणाचार्य पदारोहणकर्ता – श्री १०८ विराग सागर जी महाराज
साहित्यिक कृतित्व -. ‘१. स्तुति पुष्प, २. वन्दना पुष्प, ३. एक लोटा में दूध, ४. भावा में थोडा तो५. जीवन है दीपक की ज्योत, ६. भवभव में है गुरूवर, ७. मेरे गीत तेरे नाम, ८. गीतों का गुलदस्ता, ९. कविताओं का करिश्मा, १०, भक्ति के क्षण चालीसा, ११. शहद वन्दना प्रवचन, १२. मैं सोच रहा कब से, १३. आदमी की आदत, १४. मत बिगाड़ों जीवन की दशा, १५. चिटियों की रक्षा बेटियों की हत्या, १६. कृपया इसे न पढ़े, १७, मौत का मुहूर्त नहीं होता, १८. कफन में जेब नहीं होती, १९. मौत क पुकार, २०. मुनि श्री जेल में, २१. माँ मुझे कमङ्काल पकडना सिखाओ, २२. पडौसी सुनता है, २३. चार लड़के, २४. वाणी बनी नित बाणी, २५. अर्हंत सूत्र संग्रह/लेख, २६. मौन कथाएँ, २७. कुछ बच्चों के लिए, २८. भक्तामर चमत्कार, २९. अर्चना विधि, ३०. श्रावक प्रतिक्रमण’
उपाधि – प्रवचन केसरी, प्रखर प्रवक्ता
अन्य विशेष जानकारी – ‘रसवरी त्याग—नमक का त्याग (आजीवन), शक्का का त्याग (आजीवन) तेल का त्याग (आजीवन), दही का त्याग (आजीवन), व्रत—णमोकार मंत्र के ३५ उपवास पूर्ण, जिनगुण सम्पत्ति के ६३ उपवास पूर्ण, कर्म दहन के १५६ उपवास पूर्ण, दशलक्षण के १०१ उपवास (दस बार), चरित्र शुद्धि के १२३४ उपवास चल रहे हैं।
संघ का संपर्क़ सूत्र (मोबाइल, फोन, ईमेल) – अनिल (भैय्याजी) ०९५७१३१४०९०
कृपया फार्म के साथ साधु/साध्वी जी का पिच्छी-कमण्डलु सहित रंगीन एवं अच्छा फोटो अवश्य संलग्न करें।