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निश्चय भोक्ता भोग्यभाव – Nishchaya Bhoktaa Bhogyabhaava.
Absolute consuption of self (self engrossment).
शुद्धात्मा ही भोग्य अर्थात अनुभव करने योग्य है तथा शुद्धात्मा ही भोक्ता अर्थात् अनुभव करने वाला है, ऐसा निश्चय कर में स्थिर हो जाना ”
यह मुनि अवस्था में ही घटित होता है “