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१०८ फुट भगवान ऋषभदेव प्रतिमा के अंतर्राष्ट्रीय पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं महामस्तकाभिषेक महोत्सव की सफलता यूँ तो शब्दातीत है अर्थात् इस विराट महोत्सव की कहानी शब्दों में पूर्ण नहीं की जा सकती। लेकिन, फिर भी अपनी सम्पादकीय कलम से पाठकों को महोत्सव की स्पष्ट झलक दिखाने के लिए कतिपय विशिष्ट झलकियों का एक पन्ना गढ़ने की कोशिश की है। शायद यह पन्ना हमारे पाठकगणों को इस महोत्सव की अथाह विशालता और सफलता को आभास करा सकेगा।
आइये देखते हैं महोत्सव के कुछ सुपरहिट् बिन्दु-
(१) पंचमकाल में प्रथम बार १०८ फुट ऊँची प्रतिमा का निर्माण।
(२) गिनीज वल्र्ड रिकार्ड में शामिल हुई अखण्ड पाषाण में निर्मित विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा।
(३) बीसवीं-इक्कीसवीं शताब्दी का सबसे बड़ा महोत्सव, जिसको १४१ दिनों तक लगातार मनाने की योजना बनाई गई और समिति द्वारा ११ फरवरी २०१६ से ३० जून २०१६ तक महोत्सव की तिथि घोषित की गई।
(४) महोत्सव के लिए ‘‘सर्वतोभद्र महल’’ के नाम से बनाया गया विशाल महलनुमा ऐतिहासिक मण्डप।
(५) १ लाख स्क्वायर फुट का बनाया गया विशाल पाण्डाल, जिसमें १३००० स्क्वायर फुट का था मंच।
(६) ६ किमी. के विशाल क्षेत्रफल में बनाया गया महोत्सव परिसर।
(७) ३००० अटैच कमरों का किया गया निर्माण और ९ कालोनियों में विभक्त हुआ आवासीय परिसर।
(८) शासकीय, प्रशासकीय एवं सामाजिक विशिष्ट अतिथियों के लिए बनाये गये २० बड़े बंगले।
(९) १० भोजनशालाओं में की गई यात्रियों की नि:शुल्क भोजन व्यवस्था।
(१०) प्रतिदिन ३० हजार जैन यात्री एवं २० हजार ग्रामवासियों ने किया नि:शुल्क भोजन।
(११) जन्मकल्याणक महोत्सव-१४ फरवरी को डेढ़लाख यात्रियों ने किया स्वादिष्ट भोजन।
(१२) पाण्डाल स्थल से ४ किमी. दूर बनाया गया पार्विंâग स्थल।
(१३) पार्किंग से अपनी कालोनियों में जाने हेतु दिन-रात १२० कारों की चली कतारें।
(१४) विशिष्ट अतिथियों के आगमन हेतु बनाये गये दो हैलीपैड।
(१५) महोत्सव में मेला ग्राउण्ड का किया गया निर्माण, जिसमें बनायी गई १०० आकर्षक दुकानें।
(१६) मेले के वास्तविक स्वरूप हेतु एक से बढ़के एक झूलों की मनोरंजक व्यवस्थाओं ने भक्तों को लुत्फ दिलाया।
(१७) विभिन्न ज्ञानवर्धक प्रदर्शनियों का किया गया निर्माण।
(१८) म्युजिकल फाउण्टेन और अति विशाल भगवान ऋषभदेव उद्यान में दिखाई गई षट् क्रियाएं।
(१९) १/-रु. में चाय और २/-रु. में पोहा बना विशेष आकर्षण का केन्द्र।
(२०) मात्र ५/-रुपये में बिसलरी पानी का भक्तों ने लिया विशेष आनंद।
(२१) अभिषेक स्थल से लौटते समय सभी भक्तों को मिला स्वादिष्ट नाश्ता और ठंडा जल।
(२२) अतिसुन्दर आवास कार्यालय में प्रवेश करते ही यात्रियों की मिटी थकान।
(२३) कई किमी. तक विद्युत साजसज्जा से स्वर्ग के समान धनी हुआ ऋषभगिरि, मांगीतुंगी।
(२४) ४० किमी. तक लगाये गये महोत्सव के तोरणद्वार।
(२५) मांगी और तुंगी के सम्पूर्ण पर्वत पर फोकस लाइट और लेजर बीम ने दिखाया जलवा।
(२६) पूरे महोत्सव में उदयपुर के बैण्ड-बाजे ने नर-नारियों के थिरकाए पैर।
(२७) १०८ फुट भगवान के पिच्छी और कमण्डलु को देखकर आश्चर्य चकित हुए भक्त। २००८ पंखों की बनाई गई पिच्छी और ३ फुट लम्बा तथा ढ़ाई फुट ऊँचा बनाया गया कमण्डलु।
(२८) ६ लाख रुपये की लागत से बनाया गया भगवान का मुकुट, बना आकर्षण का केन्द्र।
(२९) १७ मार्च को सायंकाल ५००० दीपकों से भगवान ऋषभदेव की हुई प्रथम महा आरती।
(३०) प्रत्येक ६ वर्षों में प्रतिमा के महामस्तकाभिषेक की हुई घोषणा। अब २०२२ में होगा पुन: अंतर्राष्ट्रीय महामस्तकाभिषेक।
(३१) महोत्सव में ११ आचार्यों सहित १२५ पिच्छीधारी साधु-साध्वियों का मिला सान्निध्य।
(३२) महोत्सव के मध्य २० फरवरी को हुआ साधु सम्मेलन का भव्य आयोजन।
(३३) महोत्सव में २१ फरवरी को सम्पन्न हुआ प्राचीन परम्परा को याद दिलाने वाला साधुओं का युग प्रतिक्रमण।
(३४) पारस चैनल पर लगातार २५ दिन प्रात:, मध्यान्ह व रात्रि में हुआ महोत्सव का सीधा प्रसारण। पूरे देश के भक्त बने पारस चैनल के दिवाने।
(३५) महोत्सव के शुभारंभ पर पिपरी वाद्य और शहनाई की आवाज से गूंजा आकाश।
(३६) एल.ई.डी. टी.वी. सुविधा से मंचीय कार्यक्रमों का सभी ने लिया भरपूर आनंद।
(३७) सम्पूर्ण महोत्सव में लगातार २४ घंटे अस्थाई हॉस्पीटल सुविधा से मिली भरपूर राहत।
(३८) २४ घंटे लगातार दो फायर ब्रिगेड की उपलब्धतता से मिला आत्मबल।
(३९) महोत्सव में सभी संयोजक मण्डल के लगभग १५०० स्वयंसेवकों एवं वरिष्ठ समाजसेवियों ने संभाली कमान।
(४०) विशेष-२० मार्च को ५००० लीटर दूध एवं हजारों लीटर अन्य सामग्री से किया गया भगवान का महाभिषेक।
(४१) प्रतिमा के सामने साधुओं के बैठने हेतु एवं महाभिषेक की फोटोग्राफी-वीडियोग्राफी के लिए बनाई गई लोहे की पक्की ४ मंजिला मचान।
(४२) भगवान के महाभिषेक हेतु मूर्ति के मस्तक तक पहुँचने के लिए ३ लिफ्ट का किया गया निर्माण और दोनों बाजू आने-जाने के लिए बनाई गई विशाल सीढ़ियाँ। वर्तमान में भी एक अतिरिक्त लिफ्ट और सीढ़ी का निर्माण चल रहा है।
(४३) सीनियर सिटीजन एवं अशक्त भक्तों को महाभिषेक के लिए नीचे से पर्वत पर जाने हेतु कार की व्यवस्था तथा मूर्ति स्थल पर पहुँचने के लिए लिफ्ट की व्यवस्था और महामस्तकाभिषेक के लिए जाने हेतु पुन: लिफ्ट की व्यवस्था ने आने वाले समस्त बुजुर्गों एवं अशक्तों को आल्हाद की अनुभूति कराई।
(४४) महाराष्ट्र के इतिहास में प्रथम बार जैन समाज को शासन-प्रशासन द्वारा महोत्सव की सफलता में मिला ऐतिहासिक सहयोग।
(४५) पानी की सुविधा हेतु सरकार द्वारा १२ किमी. दूर हरणबारी डैम से बिछाई गई पाइप लाइन।
(४६) बिजली विभाग द्वारा ६ किमी. की दूरी से लाई गई बिजली। नई लाइन डालकर पर्वत के मूर्ति स्थल तक तथा मांगी पर्वत की चोटी से तुंगी पर्वत की चोटी तक नये पोल लगाकर पहुँचाई गई बिजली। इस सुविधा से महोत्सव का सम्पूर्ण परिसर, मूर्ति स्थल एवं मांगीतुंगी पर्वत हुआ जगमग।
(४७) सुरक्षा हेतु ६ किमी. के विशाल एरिया में लगाये गये सी.सी.टी.वी. कैमरा।
(४८) मांगीतुंगी आने वाले मार्ग पर सरकार द्वारा लगाये गये साइनबोर्ड।
(४९) सरकार ने ४ स्थानों पर लगाये १०८ फुट भगवान ऋषभदेव, ऋषभगिरि, मांगीतुंगी के ऐतिहासिक शिलालेख।
(५०) महोत्सव में पधारे अनेक विशिष्ट राजनेतागण। प्रमुख उपस्थिति-भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित जी शाह, महाराष्ट्र मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र जी फडणवीस तथा महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष श्री हरिभाऊ जी बागड़े।
(५१) महोत्सव की प्रभावना हेतु महोत्सव से पूर्व दो ‘‘विश्वशांति कलश यात्रा रथ’’ का भारत भ्रमण।
(५२) १ मार्च २०१६ को हुई झमाझम बारिश से मौसम हुआ खुशनुमा और मानों इन्द्रों ने किया भगवान का महाभिषेक।