१. शरीर के संकेतों को समझने के लिए प्राणशक्ति को समझना अतिआवश्यक है।
२. हमें भूख—प्यास, पेशाब, दस्त आदि की जानकारी है।
३. जब पेट भर जाता है तब शरीर हमें संकेत करता है, पहली डकार आती है फिर दूसरी, एवं बाद में तीसरी आती है।
४. शरीर के किसी भाग में दर्द होता है तो इसका अर्थ यह है कि उस भाग में कार्बन डाई आक्साइड, पानी तथा अन्य विषाक्त पदार्थ या वायु भर गई है।
५.नाक से पानी निकलना या छींके आना यह दर्शाता है कि शरीर अतिरिक्त पानी बाहर फैकता है।
६. खाँसी आती है तो शरीर को ठंड लगती है फिर शरीर छाती या गले में जमे हुये कफ को दूर करता है ।
७. खुजलाहट दर्शाती है कि रक्त के श्वेत कण जंतुओं का प्रतिकार कर रहे हैं और शरीर में ज्यादा खराबी है।
८. बुखार आने पर समझ लें कि रक्त के श्वेत कण जंतुओं का प्रतिकार कर रहे हैं और शरीर मे ज्यादा खराबी है।
९. जब आलस्य आये और मरोड़ उठने लगे तो समझ ले कि शरीर थक गया है और उसे आसन तथा प्राण—वायु की जरूरत है।
१०. भूख कम लगे तो समझ लें कि पेट में जमावट हुई है। या (कब्ज) हुआ है।
११. यदि हृदय में झुनझुनी हो और वहाँ दर्द होने लगे तो इसका अर्थ यह है कि हृदय को पूर्ण आराम की जरूरत है।
१२. पेट पर आहार का बोझ लादने के बजाय कुनकुना पानी, स्वच्छ पेय, फल का रस या छाछ लीजिये। इस तरह हम शरीर के इन संकेतों को समझें । और रोग दूर करने के शरीर के प्रयत्नों में मदद करें। इन संकेतों को रोकिये मत, हम कभी—कभी देखते हैं कि ज्वर को एकदम दबा देने पर कभी—कभी दूसरे रोग हो जाते हैं। कभी—कभी उसकी परिणति पक्षाघात में होती है। अत: नियमित प्राणायाम कीजिये तथा स्वयं को स्वस्थ रखिये।