अंतर्राष्ट्रीय पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में विशेष आकर्षण हेतु समिति द्वारा ज्ञानवर्धक एवं प्रेरक प्रदर्शनियों को भी प्रोत्साहित किया गया। युवाओं, बच्चों एवं बड़ों के लिए धार्मिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक विषयों पर आधारित तीन प्रदर्शनियों का आयोजन किया गया। धार्मिक प्रदर्शनी के रूप में ‘‘श्री १००८ भगवान ऋषभदेव षट्दर्शन’’ प्रदर्शनी अत्यन्त मनोहारी रही। यह प्रदर्शनी वीर सेवा दल-मझेवाड़ी (कोल्हापुर) के कार्यकर्ताओं द्वारा कड़ी मेहनत के साथ तैयारी की गई।
विशेषरूप से यह प्रदर्शनी हरे-भरे बाग-बगीचे से युक्त सुन्दर उद्यान के रूप में विकसित की गई, जिसमें भगवान ऋषभदेव द्वारा सिखाई गई असि, मसि, कृषि, विद्या, वाणिज्य और शिल्प को बखूबी अंदाज में दर्शाया गया। इसके साथ ही प्रदर्शनी में २४ तीर्थंकर भगवन्तों की २४ स्टेचू बनाकर सभी का जीवन परिचय प्रदर्शित किया गया।
१०८ फुट भगवान ऋषभदेव प्रतिमा, ऋषभगिरि-मांगीतुंगी तथा पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी की प्रेरणा से विकसित देश के विभिन्न प्राचीन तीर्थों का जीवंत प्रदर्शन भी सभी के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा। प्रदर्शनी में सुन्दर फव्वारे, विद्युत साज-सज्जा तथा मनमोहक संगीत ने भी सभी भक्तों को आकर्षित किया। कार्यकर्ताओं द्वारा महोत्सव के लगभग छह माह पूर्व से ही इस प्रदर्शनी की तैयारियाँ की जा रही थी।
ध्यान साधना और ऊर्जा संचार पर आधारित इस प्रदर्शनी में ३० धार्मिक पेन्टिंग्स बनाकर दिखाई गई। विशेषरूप से इन सभी पेन्टिंग्स में रंगों के माध्यम से कॉस्मिक एनर्जी एकत्रित करने का प्रयास किया गया, जिसको ध्यानमग्न होकर देखने वाले भक्तों को मन की शांति, एकाग्रता तथा मस्तिष्क में किसी भी उलझन से सुलझने का अवसर प्राप्त हुआ। ये पेन्टिंग्स पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के आकर्षक व्यक्तित्व एवं कृतित्व को आधार रखकर निर्मित की गई, जिसमें विभिन्न तीर्थक्षेत्रोें तथा तीर्थंकर प्रतिमाओं का दर्शन, वंदन भक्तों के लिए लाभकारी सिद्ध हुआ। मुख्यरूप से इस कार्य में श्री पवन काला-सटाणा तथा श्री सुमित लोहाड़े-मालेगांव (न्यूमरोलॉजिस्ट) ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। पेन्टिंग्स की कलाकृति अरुण जाधव आर्टिस्ट द्वारा निर्मित की गई।