Whenever unpracticle thoughts gallop and pinch my life, then i sit silent and begin to think “is this sitting idle called a life.
जब कभी भी अव्यावहारिक विचार मेरी जिन्दगी को सताने लगते हैं, तब सोचता हू, यूँ ही बैठे रहना भी कोई जिन्दगी है।