तर्ज – जनम- जनम में पाऊं ………………………………..
आरति करने आये माता द्वार तिहारे , हाँ द्वार तिहारे ,
वज्रश्रंखला माँ की आरति , सारे कष्ट निवारे || टेक ० ||
यक्षेश्वर की आप प्रिया हो, जीवन सुखी बनाती हो |
मनवांछित फल देकर उसके , घर खुशहाली लाती हो ||
जो भी सच्चे मन से माता आये तेरे द्वारे , आरति ० ||१||
चौथे अभिनन्दन जिनवर की , आप यक्षिणी माता हैं |
अतुल्य बलधारिणी माता का , रूप हृदय को भाता है ||
धन, सुत ,सम्पति , अतुलित वैभव पाए तुम्हें पुकारे ,आरति ० ||२||
हे माता बस एक प्रार्थना, आज हमारी सुन लेना |
आत्मा को निर्मल करने , जिनधर्म की छाँव सदा देना ||
” इंदु ”कामना लिए भक्त तव स्तुति सदा उचारें , आरति ० ||३||