The 4th past-birth soul of Lord Rishavhdev, The another name of the 9th Tirthankar (Jaina-Lord) Pushpadantnath.
भगवान ऋषभदेव का पूर्व का चौथा भव। यह विदेह क्षेत्र के महावत्स देश के सदृष्टि राजा का पुत्र था । पुत्र केशव के माह से दीक्षा न लेकर श्रावक के उत्कृष्ट व्रत ले कठिन तप किया। अंत में दिगम्बर हो समाधिमरण के अच्युत स्वर्ग में देव हुआ । 9 वें तीर्थकर पुष्पदंतनाथ भगवान का अपरनाम सुविधिनाथ है।