Extremely pleasant period of worldly cycle (the 1st of Avasarpini Kal & the 6th of Utsarpini Kal according to Jaina Philosophy).
अवसर्पिणी के प्रथम काल और उत्सर्पिणी के छटें काल का नाम । इसमें उत्तम भोगभूमि रहती है एवं इसका काल 4 कोड़ाकोड़ी सागर का है। इस काल में मनुष्य 6000 धनुष ऊॅचे होते है व आयु तीन पल्व की की होती है।