The third absolute meditational stat achieved at the end of the 13th stage of spiritual development.
तीसरा शुक्लध्यान – यह ध्यान तेरहवें गुणस्थान के अंत में होता है। जिन्होंने द्वितीय शुक्लध्यान के द्वारा 4 घातिया कर्मो का क्षय करके केवलज्ञान प्राप्त कर लिया है तब सब प्रकार के मन वचन योग और बादर काययोग का निरोध करके सूक्ष्म काययोग का आलम्बन लेकर जो ध्यान करते है वह सूक्ष्म क्रिया प्रतिपाती ध्यान है।