हंसी प्रकृति द्वारा मानव को दिया हुआ एक बेशकीमती उपहार है। हँसना, ठहाके लगाकर हँसना जहाँ एक सशक्त व्यायाम है वहीं स्वास्थ्य के लिए प्रकृति द्वारा प्रदत्त एक टॉनिक भी है । जैसा कि अंग्रेजी में कहावत है लाफ्टर इज द बेस्ट मेडिसीन अर्थात हँसी सर्वश्रेष्ठ दवा है। जहाँ हंसी मानसिक तनाव से राहत दिलाने वाली अचूक औषधि है वहीं मानवीय संबंधों को सरस एवं सुखद बनाने परिवारिक एवं सामाजिक जीवन को सफल बनाने वाला एक निर्णायक साधन भी है। अब तक हुए अनुसंधानों से स्पष्ट हो चुका है कि हँसी स्वास्थ्य के लिए उतनी ही आवश्यक है जितना कि उचित खान—पान। वैज्ञानिकों के अनुसार ठहाके लगाकार हँसने के साथ शरीर में एंकोफिन नामक हार्मोन उत्सर्जन होता है जो शरीर में सक्रियता, स्पूर्ति , एवं प्रसन्नता को जगाता है। ठहाके मारकर हँसने से शरीर के भीतरी अंग—अवयवों की अच्छी खासी कसरत हो जाती है प्रख्यात वैज्ञानिक नारमन करजन्स ने इसे भीतरी जागिंग की संज्ञा देते हुए बताया कि न केवल भीतरीह अंगों की मालिश होती है बल्कि दिमागी तनाव दूर हो जाता है। ठहाके लगने से पेट और सीने के स्नायु मजबूत होते है। फैफड़ों की दूषित वायु बाहर निकल जाती है। ऑक्सीजन का प्रवाह तेज हो जाता है। जिससे शरीर में शक्ति स्पूर्ति और ऊर्जा का संचार होने लगता है। इससे तनाव, अवसाद सिरदर्द आदि अपने आप दूर होने लगते है। प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार प्रतिदिन चार—पाँच किलोमीटर दौड़ने से जितना व्यायाम होता है उतना कुछ देर जोर जोर से ठहाके लगाने से हो जाता है। हंसी के लिए कहा गया है कि पाने वाला मालामाल हो जाता है साथ ही देने वाला भी आनंद संपत्ति से पूर्ण रहता है। आज जब इन्सान जिंदगी के विषम दौर से गुजर रहा है समाज तमाम तरह की बुराइयों से ग्रस्त है ऐसे में हँसी रूप अस्त्र को उपयोग में लाने की आवश्यकता सहज ही समझी जा सकती है। आज लोग दौड़ भाग करते हुए गंभीर तनाव में जी रहे है। अनिद्रा, अवसाद, हृदयरोग, ब्लडप्रेशर जैसे शारीरिक मानसिक रोग आम होते जा रहे है। लोगों का सुख चैन खत्म होता जा रहा है।स्वास्थ्य संतुलन बिगड़ रहा है। ऐसे में हास्य रूपी नैसर्गिक टॉनिक एवं दिव्य अस्त्र का अचूक उपाय आजमाने योग्य है।