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प्रयाग- भगवान ऋशभदेव की दीक्षा एवं केवज्ञानकल्याणक भूमि (जहाँ भगवान ने प्रकृश्ट रुप से त्याग किया), वर्तमान इलाहाबाद (उ.प्र.)। युग के प्रथम केषलोंच, प्रथम जैनेष्वरी दीक्षा, प्रथम केवलज्ञान, प्रथम समवसरण एवं प्रथम आर्यिकादिक्षा की भूमि। पूज्य गणिनी श्री ज्ञानमती मातजी की प्ररण से ई. सन् 2001 में इस भूमि पर (इलाहाबाद-बनारस हाइवे पर) “तीर्थकर ऋशभदेव तपस्थली” तीर्थ का निर्माण किया गया, जिमें धतु के वटवृक्ष के नीचे दीक्षा मुद्रा में भगवान ऋशभदेव की प्रतिमा भगवान ऋशभदेव समवसरण, 72 जिनालय युक्त 50 फिट ऊँचा कैलाषपर्वत, भगवान ऋशभदेव कीर्तिस्तंभ, अतिथिगृह आदि रचनाएँ निर्मित की गई हैं। कैलाषपर्वत के षिखर पर 14 फुट अतुंग भगवान ऋशभदेव की विषाल पधासन प्रतिमा विराजमान है। पूज्य माताजी की प्ररण से तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी द्वारा राजधानी दिल्ली से ई. सन् 1998 में उद्घाटित “भगवान ऋशभदेव समवसरण श्रीविहार” 3 वर्श तक सम्पूर्ध भारत में समवसरण मंदिर में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीष द्वारा स्थापित किया गया।
Prayaga- Name of the initiation &omniscience place of Lord Rishabhdev. Its present name is
Allahabad .A new place of pilgrimage ‘TirthankarRishabhdevTapasthali’ has also constructed here on the inspiration of ganini Shri GyanmatiMataji