
| (१) मिथ्यात्व | (२) सासादन |
| (३) मिश्र | (४) अविरत सम्यग्दृष्टि |
| (५) देशविरत | (६) प्रमत्त—विरत |
| (७) अप्रमत्तविरत | (८) अपूर्वकरण |
| (९) अनिवृत्तिकरण | (१०) सूक्ष्मसांपराय |
| (११) उपशांतमोह | (१२) क्षीण मोह |
| (१३) सयोग केवली | (१४) अयोग केवली |
| (१) गति | (२) इंद्रिय |
| (३) काय | (४) योग |
| (५) वेद | (६) कषाय |
| (७) ज्ञान | (८) संयम |
| (९) दर्शन | (१०) लेश्या |
| (११) भव्यत्व | (१२) सम्यक्त्व |
| (१३) संज्ञी | (१४) आहार |
| (१) प्रतिश्रुति | (२) सन्मति |
| (३) क्षेमंकर | (४) क्षेमंधर |
| (५) सीमंकर | (६) सीमंधर |
| (७) विमलवाहन | (८) चक्षुष्मान |
| (९) यशस्वी | (१०) अभिचंद्र |
| (११) चंद्राभ | (१२) मरुदेव |
| (१३) प्रसेनजित | (१४) नाभिराय |
| (१) उत्पाद पूर्व | (२) अग्रायणी पूर्व |
| (३) वीर्यानुवाद पूर्व | (४) अस्तिनास्ति प्रवाद पूर्व |
| (५) ज्ञानप्रवादपूर्व | (६) कर्मप्रवाद पूर्व |
| (७) सत्यप्रवाद पूर्व | (८) आत्मप्रवाद पूर्व |
| (९) प्रत्याख्यान पूर्व | (१०) विद्यानुवाद पूर्व |
| (११) कल्याणपूर्व | (१२) प्राणानुवादपूर्व |
| (१३) क्रियाविशाल पूर्व | (१४) लोकबिन्दु पूर्व |
| (१) चक्र, | (२) छत्र |
| (३) खड्ग | (४) दण्ड |
| (५) कांकिणी | (६) चूड़ामणि |
| (७) चर्म | (८) सेनापति |
| (९) गृहपति—(शिल्पकार) | (१०) गज |
| (११) अश्व | (१२) पुरोहित |
| (१३) रथपति | (१४)स्त्रीरत्न |
| (१) नरव | (२) रोम |
| (३) प्राणरहित शरीर | (४) हाड़ |
| (५) गेहूँ आदि का कण | (६) कुंड (चावल का कण) |
| (७) पूय (राध) | (८) गीला चर्म |
| (९) लहू (रक्त) | (१०) मांस |
| (११) अंकुरित होने योग्य गेहूँ आदि बीज | (१२) सचित्त फल |
| (१३) कंद | (१४) मूल |
