The extrication of soul–points to the next birth state just before the death (related to the transmigratory state).
मरण के समय अपने वर्तमान शरीर को न छोड़कर आगे जहां उत्पन्न होना है उस क्षेत्र तक आत्मा के प्रदेशों को फैलकर अन्तरमुहर्त तक रहना