Having to do with the whole world, universal (as Jain religion), Name of a chief interrogator in the assembly of Lord Mallinath.
सरे संसार से संबंधित, जैनधर्म सार्वभौम कहलाता है क्योकि इसके सिद्धांत संसार के समस्त प्राणियों के लिए हितकारी है। तीर्थकर मल्लिनाथ के मुख्य श्रोता अर्थात् प्रश्नकर्ता।