

श्री शांति कुंथू अर जिनेश्वर, जन्म ले पावन किया।
तीर्थ रूप शुद्ध स्वच्छ सिंधु नीर लाइये। 




कुंद केतकी गुलाब वर्ण-वर्ण के लिए।
खीर पूरिका इमर्तियाँ भराय थाल में।


धूप गंध लेय अग्निपात्र में जलाइये। 
मातुलिंग आम्र सेव संतरा मंगाइये। 
नीर गंध अक्षतादि अर्घ को बनाइये। 
समवसरण में राजते, ज्ञानज्योति से पूर्ण।