(१) कर्ता | (२) भोक्ता |
(३) वक्ता | (४) प्राणी |
(५) वेद | (६) ज्ञायक स्वभावी |
(७) स्वयंभू | (८) शरीरी |
(९) मानव | (१०) विष्णु |
(११) सक्ता | (१२) जंतु |
(१३) मायावी | (१४) मानी |
(१५) योगी | (१६) संकट (संकुट) |
(१७) क्षेत्रज्ञ | (१८) असंकट (असंकुटी) |
(१९) अंतरात्मा। |
(१) क्षुधा | (२) तृषा |
(३) शीत/उष्ण | (४) दंशमशक |
(५) नग्नता | (६) अरति |
(७) स्त्री | (८) चर्या / निषदया / शय्या (तीनों में से एक) |
(९) आक्रोश | (१०) वध |
(११) याचना | (१२) अलाभ |
(१३) रोग | (१४) मानी |
(१५) मल | (१६) सत्कार—पुरस्कार |
(१७) प्रज्ञा | (१८) अज्ञान |
(१९) अदर्शन । |
(१) पृथ्वीकायिक सूक्ष्म | (२) पृथ्वीकायिक बादर |
(३) जलकायिक सूक्ष्म | (४) जलकायिक बादर |
(५) अग्निकायिक सूक्ष्म | (६) अग्निकायिक बादर |
(७) वायुकायिक सूक्ष्म | (८) वायुकायिक बादर |
(९) इतर निगोद सूक्ष्म | (१०) नित्य निगोद सूक्ष्म |
(११)इतर निगोद बादर | (१२) नित्य निगोद बादर |
(१३) सप्रतिष्ठित प्रत्येक | (१४) अप्रतिष्ठित प्रत्येक |
(१५) द्रीन्द्रिय जीव बादर | (१६) त्रिइन्द्रिय जीव बादर |
(१७) चतुरिन्द्रिय जीव बादर | (१८) पंचेन्द्रिय सैनी बादर |
(१९) पंचेन्द्रिय असैनी बादर। |
—शशीप्रभा लुहाड़िया‘