पूज्यश्री का नाम – मुनि श्री सुवंद्य सागर जी महाराज
आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत/प्रतिमा-व्रत ग्रहण करने का विवरण – सात प्रतिमा व्रत ग्रहण विजय दशमी सन् २००३
मुनि दीक्षा तिथि, दिनाँक व स्थान – ५ फरवरी, २००४ गजपंथा सिद्धक्षेत्र मुनि दीक्षा गुरु – आचार्य श्री सुविधि सागर जी महाराज
साहित्यिक कृतित्व -. कड़वे सच, उपासक संस्कार, दानो पदेश, धन्य मुनिचर्या, तमसो माज्योतिर्गमय, बिखरे मोती।
मारठी साहित्य—हनुमान चारित्र, वृषभोद्वार कथा, इंद्र चरित्र, संत साधना, भद्रबाहू आख्यान, सम्यक्त्व कौमुदी , मल्लिनाथ चरित्त, मेरू मंदार पुराण ।