| पूज्यश्री का नाम | श्रमण मुनि श्री प्रमेय सागर जी महाराज | 
| जन्मस्थान | डुंगासरा (सागर) म. प्र. | 
| जन्मतिथि व दिनाँक | १३-०२-१९८० | 
| जाति | परमार जैन | 
| माता का नाम | श्रीमति संतोषरानी जैन | 
| पिता का नाम | स्व. श्री पदमचंद जी जैन | 
| लौकिक शिक्षा | मिडिल, वैय्याकरण (संस्कृत) | 
| आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत/प्रतिमा-व्रत ग्रहण करने का विवरण | २००१, सिलवानी (म. प्र.) द्वारा – आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज | 
| क्षुल्लक/क्षुल्लिका दीक्षा तिथि, दिनाँक व स्थान | १३-०२-२००६ श्रवणबेलगोला (कर्नाटक) क्षुल्लक/क्षुल्लिका | 
| दीक्षा गुरु | आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज | 
| मुनि दीक्षा तिथि, दिनाँक व स्थान | २९-११-२००७, इन्दौर, (म. प्र) | 
| मुनि दीक्षा गुरु | आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज | 
| साहित्यिक कृतित्व | आचार्य श्री पूज्यपाद कृत जैनेन्द्र व्याकरण पर संस्कृत टीका स्वरूप सम्बोधन परिशीलन की संस्कृत टीका | 
| अन्य विशेष जानकारी | सम्प्रति अध्यात्मयोगी आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी के संघ में है। | 
