== आमर्षौषधि, क्ष्वेलौषधि, जल्लौषधि, मलौषधि, विप्रुषौषधि, सर्वौषधि, मुखनिर्विष और दृष्टिनिर्विष। १. आमर्षौषधि – जिसके प्रभाव से जीव ऋषि के हाथ, पैरादि के स्पर्शमात्र से नीरोग हो जावें। २. क्ष्वेलौषधि – इस ऋद्धि से मुनियों के लार, कफ, अक्षिमल आदि जीवों के रोगों को नष्ट कर देते हैं। ३. जल्लौषधि – मुनि के शरीर का पसीना सर्व रोगों को नष्ट कर देता है। ४. मलौषधि – मुनि के दांत, नासिका आदि का मल भी रोगों को नाश कर देवे। ५. विप्रुषौषधि – मुनियों के मूत्र, विष्ठा भी जीवों के भयानक रोगों का नाश कर देवे। ६. सर्वौषधि – दुष्कर तप से युक्त मुनियों का स्पर्श किया हुआ जल, वायु आदि सम्पूर्ण व्याधियों का नाश कर देवे। ७. वचननिर्विष (मुखनिर्विष) – तिक्त रस व विष से युक्त विविध प्रकार का अन्न जिन-मुनि के वचन से निर्विषता को प्राप्त हो जाता है। ८. दृष्टिनिर्विष – रोग और विष से युक्त जीव जिस ऋद्धि के प्रभाव से मुनि के द्वारा देखने मात्र से ही नीरोगता को प्राप्त कर लेते हैं।