== व्रूर परिणामों से उत्पन्न हुए ध्यान को रौद्रध्यान कहते हैं। उसके चार भेद हैं- हिंसा में आनन्द मानना हिंसानन्द रौद्रध्यान है। झूठ बोलने में आनन्द मानना मृषानन्द रौद्रध्यान है। चोरी में आनन्द मानना चौर्यानन्द रौद्रध्यान है। विषयों के संरक्षण से आनन्द मानना परिग्रहानन्द रौद्रध्यान है। यह ध्यान पाँचवें गुणस्थान तक हो सकता है किन्तु देशविरतों का रौद्रध्यान नरक आदि दुर्गतियों का कारण नहीं हो सकता है।