भलाई की पत्ति ४ तोला, प्रेम के बीज ३ तोला, सच्चाई की जड़ २ तोला, परोपकार के फल ५ तोला, तपस्या की छाल १५ तोला।
विधि— इन पाँचो वस्तुओं को दस्ते में कूट कर आत्मज्ञान के डिब्बे में भर लो और सत्संग के चमचे से दो—तीन बार प्रतिदिन खाओ।
परहेज:—चिंता की दाल,द्रोह का नमक, कषाय की खटाई और विकल्प की मिर्च का परहेज अवश्य रखेंं।
कभी छोटा मत समझो— कर्ज, शत्रु, बीमार। इन्हें कोई चुरा नहीं सकता, हुनर, ज्ञान, अक्ल। तीन बातें कभी न भूलें— कर्ज, फर्ज, मर्ज। इन तीनों का सम्मान करो—माता, पिता, गुरु। इन तीनों को वश में रखो— मन, काम, क्रोध । तीन बातें मानों — कम खाओ,गम खाओ, नम जाओ। तीन चीजें किसी का इंतजार नहीं करती— समय, मौत, और ग्राहक । तीन चीजें जीवन में एक बार मिलती हैं— माँ, बाप, और जवानी।