आओ-आओ सब नर-नारी, गुरुभक्ती की बेला प्यारी।
इनको वंदन है बारम्बार, हो माता-कर दो अब उद्धार,
हो माता-कर दो अब उद्धार। मात चन्दनामती जी, जो कि प्रज्ञाश्रमणी हैं।
इनकी लेखन शैली है, अती उत्तम-इनके…….
इनके प्रवचन सुनकर सब जन, आनन्दित हो जाते हर मन।
इनकी प्रतिभा तो है बेमिसाल, हो माता-कर दो अब उद्धार,
हो माता-कर दो अब उद्धार।।आओ.।।१।।
लिखे हैं ग्रंथ शताधिक, सभी हैं ज्ञानवर्धक।
बनीं विद्यावाचस्पति, हे अद्भुत ज्ञान-इसी……………
इसीलिए तो पीएच.डी. की, पदवी पाई है माता ने।
ये तो करुणा की हैं भण्डार, हो माता-कर दो अब उद्धार,
हो माता-कर दो अब उद्धार।।आओ….।।२।।
इनकी तप-त्याग साधना, बढ़े बस यही कामना।
इनका चारित्र विमल हो, यही वाञ्छा…….
पावन पावन-पूज्य तुम्हारी काया मिले ‘‘सारिका’’ तेरी छाया।
पाएँ दीर्घ आयु भी आप, हो माता-कर दो अब उद्धार,
हो माता-कर दो अब उद्धार।।आओ….।।३।।