उन्नीसवें तीर्थंकर भगवान मल्लिनाथ और इक्कीसवें तीर्थंकर भगवान नमिनाथ की जन्मभूमि ‘‘मिथिलापुरी’’ है जो वर्तमान में नेपाल के अंदर मानी जा रही है। उत्तरपुराण ग्रंथ में मिथिला नगरी बंग देश (बंगाल) में वर्णित है अतः यह खोज का विषय है। इस मिथिला नगरी में इन दोनों तीर्थंकरों के गर्भ, जन्म, तप और ज्ञान ये चार-चार कल्याणक हुए हैं। भगवान मल्लिनाथ ने माता प्रजावती और पिता कुम्भराज से मगशिर शुक्ला एकादशी को जन्म लिया था। इन्होंने विवाह नहीं किया और बालब्रह्मचारी रहकर दिगम्बरी दीक्षा ग्रहण कर ली थी। पुनः सम्मेदशिखर पर्वत से मोक्ष प्राप्त किया था और भगवान नमिनाथ ने पिता विजय और माता वर्मिला से आषाढ़ कृष्णा दशमी के दिन अश्विनी नक्षत्र में जन्म लेकर मिथिलापुरी को पवित्र किया था तथा उन्होंने भी सम्मेदशिखर पर्वत से मोक्ष प्राप्त किया था। कुछ लोगों ने इस मिथिलानगरी का अस्तित्व काठमाण्डू (नेपाल) में मानकर वहाँ जैनमंदिर का निर्माण भी किया है किन्तु उसका निर्विवाद अस्तित्व जनता के समक्ष अवश्य आना चाहिए। दो तीर्थंकरों की इस पावन जन्मभूमि मिथिलापुरी तीर्थ को कोटिशः नमन।