(१) पड़गाहन | (२) उच्च स्थान |
(३) पाद—प्रक्षालन | (४) अर्चना |
(४) अर्चना | (६) मनशुद्धि |
(७) वचनशुद्धि | (८) काय शुद्धि |
(९) आहार—जल शुद्धि | (१०) श्रद्धावान |
(११) विवेकवान | (१२) क्रियावान |
(१३) भक्तिवान | (१४) निर्लोभी |
(१५) दयावान | (१६) क्षमावान |
(१७) आनंदपूर्वक दान देना | (१८) आदरसहित दान देना |
(१९) प्रियवचनपूर्वक दान देना | (२०) निर्मलभाव रखना |
(२१) जन्म सफल मानना |
(१) लज्जावंत | (२) दयावंत |
(३) प्रसन्नता | (४) प्रतीतिवंत |
(५) परदोषाच्छादन | (६) परोपकारी |
(७) सौम्यदृष्टि | (८) गुणग्राही |
(९) दीर्घ विचारी | (१०) धर्मज्ञ |
(११) शीलवंत | (१२) दानवंत |
(१३) तत्वज्ञ | (१४) कृतज्ञता |
(१५) दूरदर्शी | (१६) मिथ्यात्वरहित |
(१७) संतोषवंत | (१८) स्याद्वाद भाषी |
(१९) मिष्टभाषी | (२०) अभक्ष्यत्यागी |
(२१) षटकर्म प्रवीण। |
संकलन— शशीप्रभा लुहाड़िया संदर्भ — जैन दर्शन गणित