स्वयं की प्रशंसा न करें
Avoid Self Praise
प्रेरक प्रसंग
महाभारत में एक प्रसंग है। एक बार अर्जुन युधिष्ठर को क्रोधावेश में भला बुरा कह देते हैं किन्तु थोड़ी देर में वे अत्यंत दुःखी होकर अपनी तलवार निकालकर स्वयं को मारना चाहते हैं यह देख कृष्ण उनसे पूछते हैं। तुम यह कृत्य क्यों करना चाहते हो? अर्जुन ने कहा कि जिस भाई को मैं पिता तुल्य मानता रहा हूँ अपना गुरू मानता रहा हूँ, उनके साथ मैंने जो किया अच्छा नहीं किया अतः मैं अपना सिर काटना चाहता हूँ । कृष्ण कहते हैं। इसके लिए तलवार की जरूरत नहीं। तुम अपनी आत्म प्रशंसा स्वयं करना शुरू कर दो, जो व्यक्ति अपनी प्रशंसा स्वयं करता है, वह भी मरे के बराबर ही होता है। आत्म प्रशंसा की चाहत में व्यक्ति सबसे पहले अपने गुणों की आहूति देता है अपनी प्रशंसा की चाह उसे हर कार्य करने को मजबूर करती है। स्वयं की प्रशंसा से व्यक्ति में अभिमान का भाव ही आता है। जो घुन की तरह स्वयं उसके व्यक्तित्व को खत्म करता है।