छोटी माताजी के विख्यात पूज्य आर्यिका श्री चंदनामती माताजी ने इस पुस्तक में सप्त व्यसनों से होने वाली हानियों के बारे में छोटी – छोटी वार्ता के माध्यम से बताया है | वस्तुतः ये व्यसन किसीभी प्रकार हितकर नहीं हैं अपितु उसी प्रकार हैं जिस प्रकार भयंकर खुजली के होने पर व्यक्ति उसे खुजाकर उस समय असीम शान्ति की अनुभूति करता है किन्तु बाद में वह और अधिक पीड़ा और जलन पैदा करती है अतएव इनसे सर्वदा कोशिश करना चाहिए और निर्व्यसनी बनकर अपने जीवन को कुंदन बनाना चाहिए |