नदी के घाट को तीर्थ कहते हैं, मतलब जहाँ से उतरकर उस पार जाया जाए। ऐसे ही उन स्थानों को भी तीर्थ कहते हैं जहाँ के दर्शन वंदन से आत्मा संसार से तर जाए। जो तीर्थ (धर्म) चलाते हैं उन्हें तीर्थंकर कहते हैं और उनके स्पर्श से पवित्र हुए क्षेत्रों को तीर्थ कहते हैं। तीर्थों को तीन भागों में बाँटा जा सकता है।
सिद्ध क्षेत्र-
जहाँ से तीर्थंकर या महापुरुष मोक्ष गए। जैसे– सम्मेद शिखरजी, कैलाशगिरी, चंपापुर जी, गिरनार जी, पावापुर जी, नैनागिरी जी, द्रोणगिरी जी,
बावनगजा जी ,माँगीतुंगी जी ,पावागढ जी, ऊन, शत्रुंजय जी, तरंगा जी ,मुक्तागिरी जी, कुन्थलगिरी जी ,पावागिरी जी गजपन्था जी ,पटना ,कनकगिरी जी ,मदनपुर आदि |
तीर्थ क्षेत्र
जहाँ तीर्थंकरों के कल्याणक या उपदेश हुए। जैसे- अयोध्या, वाराणसी, मिथिला, कुंडलपुर, मथुरा, राजगृह आदि।
अतिशय क्षेत्र- जहाँ तीर्थंकरों की प्रतिमाओं की भक्ति से लोगों के दुःख दूर हो जाते हैं, कुछ अद्भुत घटना होती है। जैसे- कचनेर जी, पैठण जी, जटवाड़ा, एलोरा, पदमपुरा, तिजारा, कुंजवन (उदगाँव), अंकली, अहिछत्र, श्रवणबेलगोला, अरिहंतगिरी, नवागढ़, महुआ जी, आहारजी, पपौरा जी, तिगोड़ा तीर्थ, खजुराहो, देवगढ़, महावीरजी, ऋषभदेव, उमता, भिलोड़ा, पाल। पूरे देश में अनेक प्राचीन जैन मंदिर हैं। कहीं भी खुदाई में अक्सर प्राचीन दिगंबर जैन प्रतिमाएँ निकलती रहती हैं।
सम्मेदशिखरजी –जीवन में 20 तीर्थंकरों की इस निर्वाण भूमि के दर्शन का भाव हर एक जैन के मन में रहता है। झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ स्टेशन के पास यह शाश्वत तीर्थ स्थित है।
श्रवणबेलगोला –एक हजार वर्ष प्राचीन गोम्मटेश्वर बाहुबली की विशाल व मनोरम जिन प्रतिमा एवं नैसर्गिक वातावरण के कारण विश्व प्रसिद्ध तीर्थ है। फरवरी 2018 में महामस्तकाभिषेक संपन्न हुआ। जिसमें भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, राज्यपाल वजूभाई वाला आदि सहित एक करोड़ से अधिक लोगों ने धर्म लाभ लिया।
कुंडलपुर- ‘बड़े बाबा’ की मनहारी प्राचीन प्रतिमा, बुंदेलखंड का केंद्रीय तीर्थ तथा आचार्य श्री विद्यासागर जी की साधना स्थली के रूप में प्रसिद्ध हैं|