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राजगृह – तीर्थकर मुनिसुव्रतनाथ के चार कल्याणक गर्भ, जन्म, दीक्षा, और केवनज्ञान प्राप्ति की भूमि एवं भगवान महावीर स्वामी की प्रथम दिव्य देषना भूमि, ये मगध देष की राजधानी थी तथा यहा राजा श्रणिक राज करते थे।यहा से जीवधर कुमार, सुधर्माचार्य आदि अनेक साधु मोक्ष गये हैं।यहां विपुलाचल आदि पाच पर्वत है इसलिए इसे पंचषील या पंच पहाडी के नाम से जाना जाता है इस राजगृही में पूज्यगणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी की प्रेरणा से भगवान मुनिसुव्रत की विषाल खडगासन प्रतिमा दिसम्बर सन् 2003 में विराजमान हुई है।
Rajagraha-Name of an ancient Jaina place of pilgrimage in dist. Nalanda Bihar where four auspicious events (Garha, Janma, Diksha, & kevalgyan kalyanaks) of the 20th Tirthankar (Jaina-lord) munisuvratnath occurred. And also it is the place of first deshna (super resonant speech) of lord mahavira nd the salvation place of many munis (saints) including Sudhamacharya etc.