आत्म सम्मान का पहला और आखिरी
मंच है दूसरों को सम्मान दीजिए और
झगड़े से दूर रहिये।
स्वयं की तुलना औरों से मत कीजिए
वरना आप अपने आपको पिछड़ा
हुआ महसूस करने लग जायेगें।
यदि आप ईमानदार हे तो चिंता मत
कीजिए सोना आम में जाकर ही कुंदन
बनता है।
अपने चेहरे को ऐसा भाव दीजिए
कि वह लोगों के दिलों में अमिट
छाप छोड़े।
व्यक्ति की सोच और नजरिया अगर
सकारत्मक है तो कहा जाएगा कि
आपको जीने की कला आ गई
दूसरों की मदद कीजिए वे स्वत: ही
आपके सहायक बन जायेंगे।
इतना भी मत सोचिए कि वह
प्याज के छिलके की तरह
सारहीन हो जाये।
जीवन का लक्ष्य बनायें बिना
करते तो बहुत हैं पर पाते कुछ नहीं।
चिंतायें,दु:ख और तकलीपें, दूर होंगी
अपनी अंदरूनी कमजोरी दूर करने से।
जिसके कारण वे पैदा हुई है।
जो अज्ञानी है पर जानता है कि
वह अज्ञानी है, वह दुनिया का
सबसे बड़ा ज्ञानी है।
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2 – पारसमणि
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पारसमणि लोहे को स्वर्ण बना देती है
स्वाती बूंद को सीप मोती बना देती है ।
समर्पण और श्रद्धा से भक्ति सदा करना
भक्ति भक्त को भगवान बना देती है।
कल का दिन किसने देखा है।
आज का दिन हम खायें क्यों?
जिन घड़ियों में हम हंस सकते हैं।
उन घड़ियों में रोयें क्यों?
बड़े काम की तलाश करते रहने
की अपेक्षा छोटा काम ही अच्छे
काम ही अच्छे से शुरू करें।
अच्छे कार्यों में इतने व्यस्त रहिए।
कि चिंता करने की फुर्सत
ही न मिले।
समाधान के लिए प्रश्न कीजिए
वरना आप स्वयं ही
समस्या बन जायेंगे।
व्यक्ति जब भी गुस्सा करेगा।
पागलपन को ही दोहरायेगा।
किसी भी जलती डाल पर चिड़िया
नहीं बैठ सकती उसी तरह चिंता
और उत्तेजना की आग में शान्ति का
झरना नहीं बह सकता है।
किनारों को बदलना चाहते हो
तो अपनी किश्ती का रुख बदलिये।
सावधान!
फिसलते पाँवों को संभाला जा सकता
है परन्तु जुबान फिसल जाये तो
गहरा जख्म कर बैठती है।
असफल होने पर भाग्य को कोसने
की बजाय यह देखिये कि प्रबन्धन
कहाँ कमजोर रहा।
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3 – किसी की झोंपड़ी में
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किसी की झोंपड़ी में आग कोई कमजोर
भी लगा सकता है, आप किसी उजड़े हुए
घर को बसाने का प्रयत्न कीजिए।
हर व्यक्ति के जीवन में संधर्ष है
अपने मन को मजबूत रखिए
संधर्ष में जीत आपकी ही होगी।
भक्ति के बिना विनय, स्नेह बिना रोना,
वैराग्य के बिना त्याग, विडम्बना मात्र है।
आमदनी कम खर्चा ज्यादा, मिटने की निशानी है।
ताकत कम गुस्सा ज्यादा, पिटने की निशानी है।
जन्म लेना व मरना अपने हाथ में नहीं
परन्तु अच्छा जीवन जीना तो
अपने हाथ में है।
जीवन की मिठास बढ़ाने के लिए
चिंता की चिता जलाइये और
अपने दिल में हमेशा प्रसन्नता का
गुलाब सजाकर रखिये।
कार्य की योजना धैर्य से बनाइये, काम
मनोबल से कीजिए सफलता पाइये।
सदा सकारात्मक ढंग से सोचने
का तिलक लगाईये अनेकों
मनोविकारों से बच सकेगे।
आज को इस तरह जिये कि वह
कल के लिए यादगार बन जाए।
अगर अगर आप दु:खों से मुक्त रहना
चाहते है तो स्वयं को सदा व्यस्त एवं
अनुशासन में रखिये।
अपनी खुशियों को दूसरों के साथ
बांटना जीवन का सबसे बड़ा दान है।
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4 – यदि आप ईमानदार हैं
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यदि आप ईमानदार हैं तो चिंता मत
कीजिए सोना आग में जाकर ही
कुंदन बनता है।
अपने चेहरे को ऐसा भाव दीजिए
वह लोगों के दिलों में अमिट छाप छोड़े।
पहले युद्ध मनुष्य के मन में पैदा होता
है फिर बाहर होता है, बाहर आने तक
शान्ति के लिए प्रयत्नशील हो जाइये।
विधवा विकलांग और अनाथ
इन तीनों का सहयोग करना
मानवीय सभ्यता का प्रथम चरण है।
आप कुछ भी करें परन्तु
प्रकृति के विरूद्ध न करें।
मेहनत से मत घबराइये
विकास के शिखरों तक पहुचने का
वही रास्ता है।
अपने चेहरे पर ऐसा कोई चेहरा न
लगायें कि आपके वास्तविक चेहरे
की पहचान खो जाये।
झूठ तभी बोलिये जब
सच खतरे में पड़ा हो।
झगड़े को खत्म करने की
तत्काल औषधि है
कहिए क्षमा कीजिए।
अपने बच्चों पर अच्छे संस्कारों का निवेश
कीजिए, इससे आपका और आपके बच्चे
दोनों का भविष्य सुखद होगा।
यदि आप इस समय खुश हैं तो
आपका अगला पल भी
खुशियों भरा होगा।
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5 – अच्छी नींद आने के लिए
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अच्छी नींद आने के लिए अपने सिरहाने
दुनिया की किन्हीं अच्छी पुस्तकों को
अवश्य रखिये। और सोने से पहले दो पन्ने
ही सही पढ़ने की आदत अवश्य डालिए।
मिला है मानव जीवन – बेस्ट
करना है जिनवाणी का – टेस्ट
कर्मों को करना है – वेस्ट
सिद्धालय में जा करना है – रेस्ट
उस समय विशेष शांत रहिए जब कोई
अपना गुस्सा आप पर निकालने लगे।
भविष्य की कल्पना छोड़ो वर्तमान में
जीना सीखो जीवन वर्धमान होगा।
जीवन प्रतिपल चुनौती है और
उसे स्वीकार नहीं करता
वह जीते जी ही मर जाता है।
जहाँ दया है वहीं सत्य है, शील है,
दान है, क्षमा है, सेवा है
और सरलता भी है।
पुण्य बिना सत्संग नहीं,
सत्संग बिना ज्ञान नहीं।
ज्ञान बिना क्रिया नहीं,
क्रिया बिना मुक्ति नहीं।
हर बोली हुई बात के अनुसार जिया
नहीं जा सकता इसलिए सीमित
बोलना ही ठीक है।
हो सके तो अपना मनपंसद काम कीजिए
नहीं तो काम को ही मनपंसद बना लीजिए।
किसी के बुरा अच्छा कहने के
बावजूद भी आपका सहन सौभ्य
रहना संतुलित मन निशानी है।
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6 – प्रेम सबसे
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प्रेम सबसे कीजिए विश्वास कुछ
पर कीजिए, बुरा किसी का भी
मत कीजिए
पुण्य करना कठिन है,
परन्तु पुण्य का फल भोगना सरल है।
पाप करना सरल है,
परन्तु पाप का फल भोगना कठिन है।
मनुष्य को प्रतिक्रियाओं से परहेज रखना चाहिए,
क्रियाओं का होना स्वाभाविक है। किंतु प्रतिक्रियाओं
का होना आत्मनियंत्रण का अभाव है।
यदि गरीब है तो और
मेहनत कीजिए, यदि अमीर है तो
अब संतोष धारण कीजिए।
किसी कार्य की सफलता के लिए
इच्छाशक्ति चाहिए और
इच्छाशक्ति के लिए उत्साह चाहिए
कार्य में सफलता दिखेगी।
मनुष्य ने अपना लक्ष्य निर्धारित नही
किया इसलिए असफल रहा, जिसने अपना
लक्ष्य बना लिया है वह निश्चित सफलतायें
पाता हुआ विजयी होता है।
अपने हृदय को संत बनाइये और
अपमान करने वाले पर भी
शुभ कामनाओं के फूल बरसाइये।
अनुचित आहार से पेट खराब होता है
अनियमितता से स्वास्थ्य खराब होता है
अधिक धन से बुद्धि खराब होता है।
क्रोध से शरीर खराब होता है।
स्वार्थ अपने को पराया बना देता है और
सच्चा प्रेम पराये को अपना बना देता है
धन और शिक्षा जीवन में महत्वपूर्ण
अस्तित्व रखते हैं। परंतु सुसंस्कार के
बिना ये अधूरे हैं।
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7 – आध्यात्म और अर्थ
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आध्यात्म और अर्थ जीवन के दो
किनारे हैं। शिक्षा और संस्कार
जीवन नाव की पतवार है।
ईष्या की आग को बुझा दीजिए
नहीं तो यह जहाँ-जहाँ जायेगी
वहाँ का कोना-कोना नरक बना डालेगी।
सच्ची लगन ही मनुष्य के सफलता
की पहली सीढ़ी बनेगी।
जो न खुद खाता है और दूसरों न
खाने देता है वह मक्खीचूस है। जो खुद
भी खाता है और दूसरों को भी खिलाता
है वह उदार है। जो खुद नहीं दूसरों को
खिलाता है वह दाता है।
सुख के सभी साथी, सुख में प्यार
दिखाता है वही व्यक्ति, जो दु:ख में
आँख दिखाता है।
क्रोध से प्रीति का नाश,
मान से विनय का नाश,
माया से विश्वास का नाश,
लोभ से उत्तम गुणों का नाश,
झूठ से प्रमाणिकता ही नाश होता है।
अपने आप से प्रेम कीजिए
दूसरे आपसे नफरत करना छोड़ देंगे।
सूरज हर शाम को ढल जाता है,
हर पतझड़ वसन्त में बदल जाता है।
ऐ मेरे मन! मुसीबतों में मत हार
समय कैसा भी हो गुजर जाता है।
धीमें और धैर्य से बोले तो मनुष्य की
वाणी औरों के दिलों में प्यार और
जिज्ञासा का झरना बहायेगी।
दूसरों के दु:ख दर्द को देखकर
अगर आपके आँसू छलक आएँ,
तो आपमें मानवीयता है।
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8 – गिरने को गिरना
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गिरने को गिरना न समझें
इस बहाने आप
सम्हलना सीख पाएं।
कुछ और होने का स्वांग
करने से अच्छा है कि आप
अपने सहज स्वभाव में रहें।
अपने से बड़ों को प्रणाम अवश्य कीजिए
आपके लिए आर्शीवादों का खजाना
खुल जायेगा।
अपने अन्दर नकारात्मकता को प्रवेश मत दीजिए
क्योंकि ये मन को तोड़ता है। अपने आस-पास
प्रेम उत्साह को रखिये जो तुम्हें ऊर्जा प्रदान करें।
बड़ो की हर बात अनुकरणीय है
जिसमें आपका अहित नहीं होता है।
कुछ नहीं तो तीन काम अवश्य कीजिए
बचपन में ज्ञान का अर्जन
जवानी में धन का अर्जन और
बुढ़ापे में पुण्य का अर्जन।
परिवर्तन से मत डरिये वरना
आप नई प्रगति से वंचित रह जायेंगे।
आपके पास दो रूपये हैं तो एक से
रोटी खरीदिये और दूसरे से अच्छी
किताब रोटी आपको जीवन देगी
किताब आपको जीने की कला देगी।
जब कोई नाराज होकर आपको बुरा
भला कहे उस समय विशेष रूप से
धैर्य और शान्ति रखिये।
दूसरों की तारीफ करके देखिये
आपको उनके प्रेम का अनूठा
पुरस्कार मिलेगा।
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9 – गाली बुरे आदमी को
==
गाली बुरे आदमी को भी दी जाये तो
भी भले आदमी का लक्षण नहीं है।
जन्मजात स्वभाव को बदलना आसान
नहीं है पर उस पर अंकुश लगाने का
बोध रखना आपके हाथ में है।
होठों से सभी मुस्कराते हैं आप आंखों
से मुस्कराइये। आंखों की मुस्कान, होठों
की मुस्कान से चौगुनी असरदार होती है।
गुलाब की तरह मकहना है तो पहले
कांटे की चुभन को सहना सीखिए।
इच्छा से दु:ख आता है, भय आता है
जो इच्छाओं से मुक्त है, वह न दु:ख
जानता है और न भय।
हर सुबह की शुरूआत प्रसन्न मन
के साथ कीजिए पूरा दिन उत्साह
और ऊर्जा से भरा रहेगा।
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10 – सफलता और समृद्धि
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सफलता और समृद्धि का अर्थ
पैसा ही नहीं है, व्यक्ति का व्यवहार
और स्वभाव भी है।
ज्वाला नहीं ज्योति बनकर जलना सीखो,
कांटे नहीं फूल बनकर खिलना सीखो।
जीवन में आने वाली कठिनाईयों से,
डरना नहीं, पुरुषार्थ करना सीखो।
अपने दायें हाथ का नपाम रखिये शुभ लाभ
और बायें हाथ का नाम रखिये शुभ खर्च
फिर देखिये जीवन में आनन्द ही आनन्द है।
हर सुबह की शुरूआत प्रसन्न मन
के साथ कीजिए पूरा दिन उत्साह
और ऊर्जा से भरा रहेगा।
सफलता और समृद्धि का अर्थ
पैसा ही नहीं है, व्यक्ति का व्यवहार
और स्वभाव भी है।
आशा को अपनी सहेली बनाइये
और उत्साह को अपना मित्र
इन्हें साथ लीजिए और
मंजिल तय कीजिए।
जीवन में बाधा इसलिए महसूस हो
रही है क्योंकि आपने आत्मविश्वास
का दामन छोड़ दिया।
जीवन में आपत्ति के कांटो को उगने
से तो नहीं रोका जा सकता है परन्तु
सहनशीलता से उन कांटो के प्रभावों
को निष्प्रभावी किया जा सकता है।
आत्मा को देखना आत्मा को जानना
आत्मा में लीन होना
यही मोक्ष का निश्चल मार्ग है।
आपत्तियों को जो आपत्ति नहीं समझते
वे आपत्तियों को ही आपत्ति में
डालकर वापिस भेज देते हैं।
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11 – निन्दा से निष्प्रभा
==
निन्दा से निष्प्रभावी रहने के लिए
प्रशंसा से अप्रभावित रहिए।
सहज भाव से दिया गया एक मुट्ठी
चावल श्रेष्ठ। मान प्राप्त करने के लिए
दिया गया एक मुट्ठी सोना निसार है।
अपशब्दों के प्रयोग करने का अर्थ है
कि व्यक्ति में इतनी भी बुद्धि नही है
कि वह शब्दों का चयन कर सके।
विचारों को व्यवस्थित करना ये भी एक
साधना है आप अपने विखरे विचारों को
फूल की तरह इकट्ठा कीजिए और एक
सुन्दर माला का रूप दीजिए।
निन्दा से निष्प्रभावी रहने के लिए
प्रशंसा से अप्रभावित रहिए।
किसी की झोंपड़ी में आग कोई कमजोर
भी लगा सकता है, आप किसी उजड़े हुए
घर को बसाने का प्रयत्न कीजिए।
हर व्यक्ति के जीवन में संधर्ष है
अपने मन को मजबूत रखिए
संघर्ष में जीत आपकी ही होगी।
पीड़ित व्यक्ति के लिए
आपके प्रेम की एक हिलोर भी
मरूस्थल में सागर का काम करेगी।
आवश्कताओं को इतना मत बढ़ाइये
कि वे द्रौपदी का चीर बन जायें।
आप जहाँ हैं वहाँ का वातावरण उत्तेजित
या दूषित है तो स्वयं को वहाँ से हटा
लेंगे तो मानसिक राहत मिलेगी।
बाधाएँ आने पर विचलित नहीं होना
यह मनुष्य की कसौटियाँ है।
दूसरों की तारीफ करके देखिये
आपको उनके प्रेम का अनूठा
पुरस्कार मिलेगा।
गाली बुरे आदमी को भी दी जाये,
तो भी भले आदमी का लक्षण नहीं है।
यदि आप बुरा सोच रहे हैं तो बुरा फल
पाने के लिए तैयार रहिए अच्छे फलों को
पाने के लिए अपनी सोच को अभी इसी
क्षण अच्छा कर लीजिए।
==
12 – नम्रता से पेश आइये
==
नम्रता से पेश आइये, आप अंत में
तालमेल बैठाने में सफल हो जायेंगे।
जो आपके मन की शांति और
संतुलन को विचलित करे,
उस बात को न सुनिये न देखिये
न बोलिए।
दूसरों को गिराने का अर्थ है
मनुष्य स्वयं गिर जाता है।
हर बोली हुई बात के अनुसार
जिया नहीं जा सकता इसलिए
सीमित बोलना ही ठीक है।
हो सके तो अपना मनपसंद काम कीजिए
नहीं तो काम को ही मन पसंद बना लीजिए।
समझदारी से बोलेंगे तो ठीक है
वरना आप चुप रहेंगे तो
आपको पछताना नहीं पड़ेगा।
परिस्थितियां आपको बदलने के बहुत
अवसर देती है, परन्तु कहीं ऐसा तो नहीं
कि आप स्वयं ही बदलना नहीं चाहते हैं।
ईष्या की आग को बुझा दीजिए
नहीं तो यह आग जहाँ-जहाँ जाएगी
वहाँ का कोना-कोना नरक बना डालेगी।
सच्ची लगन ही मनुष्य की सफलता
की पहली सीढ़ी बनेगी।