[[श्रेणी :शब्दकोष]] मोतीसागर(क्षुल्लक)–Motisagar (Kshullak). Name of a devoted disciple of Ganini shri Gyanmati mataji, who is as the founder of Jambudvip construction at Hastinapur and till today he is providing his valuable guidance & direction in the protection as well as development of the Jain heritage as the Peethadhish of Jambudvip–Hastinapur. गणिनीप्रमुख ज्ञानमती माताजी के प्रमुख शिष्य; सन 1967 में ब्र. मोतीचंद के रूप में पूज्य माताजी के शिष्य बने, जंबूद्वीप रचना (हस्तिनापुर) के निर्माण के रूप में इनकी भूमिका रही, जम्बूद्वीप ज्ञानज्योति रथ का भारत भ्रमण कराया तथा सन 1987 (श्रावण शु. 7) को गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी ने इन्हें दिगंबर जैन त्रिलोक शोध संस्थान, जम्बूद्वीप–हस्तिनापुर की धर्मपीठ के पीठाधीशपद पर आसीन किया” इन्हें‘क्षुल्लकरत्न’ की उपाधि प्राप्त है” ये अपनी क्षुल्लक चर्या को निर्दोष पलते हुए, पैसा और चाबी न रखते हुए भी संस्था की समस्त गतिविधियों में अपना कुशल निर्देशन प्रदान करते है” जम्बूद्वीप के साथ–साथ समस्त तीर्थक्षेत्रो–तपस्थली(प्रयाग), कुण्डलपुर(नालंदा–बिहार), मांगीतुंगी (महाराष्ट्र), अयोध्या अदि के विकास में आपका सफल निर्देशन सदैव प्राप्त हुआ है एवं पूज्य माताजी की प्रेणना से संपन्न होने वाले प्रत्येक कार्य में आपकी आपकी अहम् भूमिका रहती है”